वरुणादि कषाय के फायदे-यह एक आयुर्वेदिक लिक्विड बेस हर्बल दवा है । इस दवा का प्रयोग सिर दर्द पेट की गैस फोड़ा फुंसी, विद्रधि पाचन तंत्र की कमजोरी पीसीओडी(PCOD) पीसीओएस (PCOS)इत्यादि में प्रयोग किया जाता है ।
वरुणादि कषाय की घटक द्रव्य
- वरुण
- अगस्त्य
- बिल्व
- अपामार्ग
- चित्रक
- अग्नि मंथ
- शोभंजन
- कंटकारी
- बृहती
- सहचर (कृष्ण)
- सहचर (पित्त)
- सहचर (स्वेत )
- मुरवा
- मर्दशिंग
- चिरायता
- करकटश्रृंग
- गिलोडी कटु
- करंज
- शतावरी
- जल
वरुणादि कषाय के फायदे
- कफ दोष को सामान्य करती है ।
- गले की ग्रंथियों में सूजन को दूर करती है।
- गुल्म और अभ्यंत विद्रधि को दूर करने में सहायक है ।
- महिलाओं में माहवारी को नियमित करती है ।
- थायराइड के कारण हुई मोटापे की समस्या को दूर करने में सहायक है ।
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन एवं उनसे संबंधित समस्या को दूर करती है ।
- कब्ज की समस्या को दूर करती है ।
- फेफड़ों को मजबूत एवं कार्य करने की क्षमता को बढ़ाती है ।
- एंटीऑक्सीडेंट एंटी इन्फ्लेमेटरी का कार्य करती है ।
- साइनस की सूजन को कम करके लेने में आने वाली दिक्कत को दूर कर ।
- नाक बंद रहने की वजह से और जुकाम की वजह से होने वाले सिर दर्द को दूर करती है ।
- फैटी लीवर को नार्मल अवस्था में लाने के लिए सहायक है ।
- कोलेस्ट्रॉल लेवल को सामान्य रखने में सहायक है ।
- सभी प्रकार की त्वचा संक्रमण के लिए जैसे खुजली पेट के कीड़े एग्जिमा इत्यादि में फायदा करती है ।
- अस्थमा रोग में आराम पहुंचाने में मदद करती है ।
सेवन मात्रा
15ml से 20ml की मात्रा दिन में दो बार खाना खाने से आधे घंटे पहले चिकित्सक की देखरेख में सेवन करे ।
दुष्प्रभाव
अभी तक किसी साइड इफेक्ट के प्रमाण नहीं है । चिकित्सक की देखरेख में प्रयोग करें । अधिक मात्रा में सेवन करने से मूत्र विसर्जन की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है ।
गर्भावस्था में इसका प्रयोग चिकित्सक की देखरेख में करें एवं दूध पिलाने वाली माताओं के लिए
चिकित्सक की सलाह पर सेवन करे ।
चेतावनी – इस लेख में दि गई जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक दवा सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह आवश्यक है ।
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