विषमज्वरारि वटी (visham jwarari vati)- यह एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका प्रयोग विषम ज्वर मॉडर्न भाषा में मलेरिया के साथ-साथ अन्य प्रकार के बुखारो में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा लिखी जाने वाली दवा है । इस दवा का वितरण राजस्थान सरकार आयुर्वेद विभाग के औषधालय एवं चिकित्सालय में निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है ।
Table of Contents
विषमज्वरारि वटी के घटक द्रव्य
- चिरायता एक भाग
- गोदंती भस्म आधा भाग
- शुभ्रा भस्म आधा भाग
- ग्वार गम 1/5 भाग
- धव निर्यास 1/5 भाग
- शुद्ध संखिया 1%
विषमज्वरारि वटी सेवन मात्रा-
500 मिलीग्राम से 1000 मिलीग्राम दिन में दो बार पानी के साथ भोजन के उपरांत चिकित्सक की देखरेख में सेवन करें।
विषमज्वरारि वटी बनाने की विधि-
सभी औषधि द्रव्यों को बारीक पाउडर बनाकर जल के साथ मर्दन किया जाता है अच्छी तरह मर्दन होने पर। 250 मिलीग्राम 500 मिलीग्राम की टैबलेट्स बनाई दी जाती है।
विषमज्वरारि वटी के फायदे
- मलेरिया बुखार के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
- 1 दिन छोड़कर ,2 दिन छोड़कर और 3 छोड़कर आने वाला बुखार में प्रयोग कराया जाता है।
- खांसी जुकाम गले में कफ के साथ आने वाला बुखार ( वात श्लेष्मिक ज्वर)में इसका प्रयोग किया जाता है।
- निमोनिया बुखार( कफ जन्य बुखार) के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
निर्माण से प्रयोग करने की अवधि
2 वर्ष तक प्रयोग की जा सकती है।
विषमज्वरारि वटी के दुष्प्रभाव
किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव की पुष्टि नहीं हुई है । किसी भी प्रकार के उपद्रव में आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श / सलाह लेवे।
सावधानी –
- चिकित्सक की देख रेख में प्रयोग करे ।
- अधिक मात्रा में सेवन से बचे ।
- बच्चो की पहुच से दूर रखे ।
- सामान्य तापमान पर स्टोर करे ।
- धुप व नमी से बचाए ।
स्त्रोत- {आयुर्वेद औषध निर्देशिका } आयुर्वेद विभाग राजस्थान सरकार द्वारा बनाया गया योग।
अस्वीकरण-
इस लेख में दि गई समस्त जानकारी शैक्षणिक उद्देश्य से है । किसी भी आयुर्वेदिक दवा के सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेवे ।
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