वृहत कस्तूरी भैरव रस (brihat kasturi bhairav ras)

brihat kasturi bhairav ras

वृहत कस्तूरी भैरव रस का उपयोग विभिन्न प्रकार के बुखार मे आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा उपयोग किया जाता है । प्रधान घटक द्रव्य कस्तूरी ही है । खासकर मलेरिया तथा रुक रुक कर दो-चार दिनों में वापस आने वाली बुखार में इस रस का उपयोग किया जाता है । आयुर्वेद में से विषम ज्वर तथा सन्निपात ज्वर के नाम से जाना जाता है । इस बुखार में कमजोर हो जाती है । आलस आता है । कमजोरी आ जाती है । ठंड लगकर बुखार आता है । ऐसे विषम ज्वर और सन्निपात ज्वर में इस रस का उपयोग मुख्यतः किया जाता है । छोटी-छोटी गोलियों के रूप में कई कंपनियों द्वारा इसका निर्माण किया जाता है ।

वृहत कस्तूरी भैरव रस के घटक द्रव्य

  1. कस्तूरी लतिका बीज (लता कस्तूरी के बीज )
  2. कर्पूर
  3. ताम्र भस्म
  4. धात की के फूल
  5. आत्म गुप्ता के बीज
  6. रजत भस्म
  7. स्वर्ण भस्म
  8. प्रवाल भस्म
  9. मौक्तिक भस्म
  10. लोह भस्म
  11. अभ्रक भस्म
  12. शोधित हरताल
  13. पाठा मूल
  14. विडंग
  15. मुक्ता
  16. शुंठी
  17. उशीर
  18. आमलकी चूर्ण

वृहत कस्तूरी भैरव रस के उपयोग-

  • लगातार आने वाले बुखार में ।
  • 1 दिन के बाद वापस आने वाली बुखार में ।
  • 2 दिन में वापस आने वाले बुखार में
  • 3 दिन बाद पुनः आने वाली बुखार में ।
  • 4 दिन बाद पुनः आने वाले बुखार में ।
  • 5 दिन बाद वापस आने वाले बुखार में ।
  • 6 दिन बाद वापस आने वाले बुखार में
  • 15 दिन बाद वापस दोहराने वाले बुखार में ।
  • 30 दिन( 1 महीने) बाद पुनः आने वाले बुखार में ।
  • सूतिका ज्वर में उपयोग किया जाता है ।
  • धातु गत ज्वर मतलब जो गहराई में शरीर में घर कर गया है ।
  • सन्निपात ज्वर( रोगी बार-बार प्रलाप करता है बार-बार बेहोशी की हालत मेंबोलता रहता है अधिक पसीना आता है शरीर के अंग ठंडे हो जाते हैं, नाड़ी कमजोर पड़ जाती है शरीर में कंपन होती है) , संग्रहणी, बुखार के साथ दस्त में ( डायरिया), पुराने बुखार में ।
  • मधुमेह, तथा खांसी में उपयोग किया जाता है ।
  • आन्त्रिक ज्वर टाइफाइड बुखार मैं भी इसका उपयोग किया जाता है ।
  • पेट के कीड़ों में ।
  • योगीह्रदय की क्षीणता
  • उन्माद

वृहत कस्तूरी भैरव रस की सेवन मात्रा-

एक से दो गोली दिन में दो बार चिकित्सक के निर्देशानुसार ही सेवन करें ।

अनुपान –

तुलसी के स्वरस के साथ, बिल चूर्ण के साथ, अदरक स्वरस के साथ, शहद के साथ अथवा रोग के अनुसार चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें ।

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चेतावनी- यहां पर दी गई जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि योग करने से पूर्व अधिकृत आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श करें ।

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