शिलाजतू वटी- अपने शिलाजीत के बारे में तो सुना ही होगा। केवल मर्दाना ताकत ही नहीं
बहुत सी बीमारियों में काम आता है शिलाजीत। जानिए शिलाजातु वटी के बारे में
शिलाजतू वटी में शिलाजीत इस औषधि का मुख्य घटक द्रव्य है शिलाजीत शिलाजीत उत्तर भारत के विशाल पर्वतों नेपाल पाकिस्तान के पर्वतों में पाया जाता है।
पर्वतों की शीला ओ से निकलने वाला यह काला एवं भूरे घुसर रंग का पदार्थ गर्मियों में चट्टानों से पिघल कर बाहर निकलता है।
इसे संग्रहित करने के बाद इसकी पहचान एवं शुद्धता सुनिश्चित करने के बाद ! आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग करवाने के लिए तैयार किया जाता है।
आयुर्वेद में शिलाजीत का अत्यधिक महत्व है। यह कई प्रकार के रोगों में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा प्रयोग कराया जाता है।
आज शिलाजीत को कुछ अन्य औषधियों के साथ मिलाकर शिलाजतू वटी का निर्माण कैसे किया जाता है इसकी जानकारी हम जानेंगे।
संदर्भ ग्रंथ रस तंत्र सार व सिद्ध प्रयोग संग्रह
Table of Contents
शिलाजतू वटी के घटक द्रव्य
- शुद्ध शिलाजीत 28 ग्राम
- शुद्ध गूगल 14 ग्राम
- लौह भस्म 3 ग्राम
- वंग भस्म 3 ग्राम
- स्वर्ण माक्षिक भस्म 7 ग्राम
गोली बनाने की विधि-
लोहा भस्म स्वर्ण माक्षिक भस्म और रंग भस्म को 1 दिन तक खरल में घोटना है। इसके बाद शुद्ध गूगल और शिलाजीत को घोटी गई भस्म में अच्छे से फिर से घोटना है। फिर इसकी 250 मिलीग्राम की गोलियां बनानी है।
सेवन मात्रा-
केवल वयस्कों के लिए- दो से चार गोली आयुर्वेद विशेषज्ञ की निर्देशानुसार दूध पानी अथवा शहद के साथ सेवन करें।
शिलाजतू वटी के उपयोग एवं फायदे
- सभी प्रकार के डायबिटीज यानी मधुमेह रोग में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा इसका प्रयोग कराया जाता है। जो मधुमेह रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
- शरीर पर होने वाले विभिन्न प्रकार के फोड़े फुंसी अथवा फोड़े जिसमे पस बनता हो। रोगाणु नष्ट की क्षमता के कारण यह धीरे-धीरे ठीक कर देता है।
- जिन लोगों को वात रोग है। जैसे वात रक्त गठिया अर्थराइटिस या अन्य किसी प्रकार के वात रोग के साथ ! मधुमेह है तो उन लोगों के लिए यह अत्यंत ही गुणकारी आयुर्वेदिक दवा है।
- शरीर पर किसी भी प्रकार की घाव को जल्दी सुखाने के लिए भी इस शिलाजतू वटी का प्रयोग करने से जल्दी लाभ मिलता है।
- पुरुष की अंदरूनी ताकत की कमी नपुंसकता शिघ्र पतन शुक्र धातु की कमी शुक्राणुओं की दुर्बलता शुक्र शुद्धि के लिए यह उत्तम अनुपम औषधि है।
- विभिन्न प्रकार के मूत्र रोगों में भी इस औषधि का प्रयोग करवाया जाता है।
कहाँ से खरीदे?
हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है। आजकल ऑनलाइन भी उपलब्ध है।
सावधानी
- बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
- निर्देशित मात्रा से अधिक मात्रा में सेवन ना करें।
- कमरे के तापमान पर स्टोर करें।
चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है। किसी भी आयुर्वेदिक दवा के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है।
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