समीर पन्नग रस- दोस्तों आज हम जानेंगे समीर पन्नग के घटक द्रव्य समीर पन्ना की किन रोगों में प्रयोग किया जाता है । साथ ही साथ समीर पन्नग रस के उपयोग में विशेष सावधानी क्या रखी जाती है ।
समीर पन्नग रस मुख्य रूप से पुरानी खांसी के साथ-साथ अस्थमा या दमा रोग इनके लिए विशेष योगी है । इसके साथ साथ वात रोगों में भी इसका प्रयोग कराया जाता है । फेफड़ों के लिए यह अत्यंत उपयोगी एवं लाभकारी आयुर्वेदिक कल्प है ।
फेफड़ों की श्वास नालियों में बिना सूजन उत्पन्न किए कफ को बाहर निकालने का कार्य करता है । श्वास रोग के कारण उत्पन्न हुए वेग को कम करने में सहायक है ।
Table of Contents
समीर पन्नग रस के घटक द्रव्य
आयुर्वेद सार संग्रह के अनुसार
- शुद्ध पारद
- शुद्ध गंधक
- शुद्ध सोमल
- शुद्ध हरताल
- कुमारी स्वरस
समीर पन्नग रस के उपयोग एवं फायदे
- समीर पन्नग का उपयोग विशेष रुप से पुरानी खांसी में कराया जाता है ।
- दमा या अस्थमा रोग में भी समीर पन्नग का प्रयोग कराया जाता है ।
- फेफड़ों से बिना सूजन पैदा किए आसानी से कफ निकालने में सहायक है ।
- अस्थमा रोग के कारण उत्पन्न अनियमित स्वास गति को प्राकृतिक अवस्था में लाता है
- हिक्का हिचकी वाले रोग में भी इसका प्रयोग करवाया जाता है।
- तमक स्वास में भी इसका प्रयोग करवाया जाता है ।
- वात रोगों में तथा पैरालाइसिस पक्षाघात में भी इसका प्रयोग कराया जाता है ।
- सन्निपात ज्वर के लिए भी प्रयोग कराया जाता है ।
- शरीर का जकड़ जाना अथवा विशेष अंग की जकड़न जाता है ।
विशेष सावधानी-
पित्त प्रकृति वाले रोगी तथा रक्त दोष प्रधानता वाले रोगियों में प्रयोग नहीं करवाए ।
सेवन मात्रा एवं अनुपान
30 मिलीग्राम से 60 मिलीग्राम की मात्रा दो बार दिन में अदरक के रस, शहद अथवा नागर बेल के पत्तों केरस के साथ चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करवाएं ।
समीर पन्नग रस कहां से खरीदें?
हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है। ऑनलाइन स्टोर पर भी आसानी से उपलब्ध है।
चेतावनी- इस लेख में उपलब्ध समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है। किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह आवश्यक है।
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