सूतशेखर रस के फायदे

सूतशेखर रस

आज हम जानेंगे सूतशेखर रस के फायदे अगर आपको कभी एसिडिटी जिसे आयुर्वेद में अम्लपित्त के नाम जाना जाता है !जब भी एसिडिटी जिसमे खट्टी डकारे पेट व् गले में जलन की शिकायत हुई होगी तो जरुर आपको सुतशेखर रस का सेवन जरुर करवाया होगा ! इस रस में पित्तशामक (शरीर में पित्त दोष के शमन ) के रूप में किया जाता है !

अम्लपित्त और एसे ही कई रोग जिनमे पित्त की प्रधानता होती है !जिसमे अति उपयोगी रस है !यह स्वर्ण भस्म के साथ निर्मित किया जाता है !इसलिए इसे स्वर्ण कल्पित रस में गिना जाता है ! पेट की जलन , उल्टी (vomiting ) जिसे आयुर्वेद में छरदी कहते है ! पेट की गैस ,सिरदर्द जैसे रोगों में विशेषतः लाभकारी है !

सूतशेखर रस के घटक द्रव्य –

आज हम जानेंगे सूतशेखर रस के फायदे अगर आपको कभी एसिडिटी जिसे आयुर्वेद में अम्लपित्त के नाम जाना जाता है !जब भी एसिडिटी जिसमे खट्टी डकारे पेट व् गले में जलन की शिकायत हुई होगी तो जरुर आपको सुतशेखर रस का सेवन जरुर करवाया होगा ! इस रस में पित्तशामक (शरीर में पित्त दोष के शमन ) के रूप में किया जाता है !

अम्लपित्त और एसे ही कई रोग जिनमे पित्त की प्रधानता होती है !जिसमे अति उपयोगी रस है !यह स्वर्ण भस्म के साथ निर्मित किया जाता है !इसलिए इसे स्वर्ण कल्पित रस में गिना जाता है ! पेट की जलन , उल्टी (vomiting ) जिसे आयुर्वेद में छरदी कहते है ! पेट की गैस ,सिरदर्द जैसे रोगों में विशेषतः लाभकारी है !

सूतशेखर रस के घटक द्रव्य -( ingredients of sutshekhar ras)

  1. शुद्ध पारद एक भाग
  2. शुद्ध गंधक एक भाग
  3. ताम्र भस्म 1 भाग
  4. स्वर्ण भस्म एक भाग
  5. शंख भस्म 1 भाग
  6. शोधित टंकण( बाल सुधा) एक बात
  7. शुद्ध वत्सनाभ एक भाग
  8. धतूर के बीच शुद्ध किए हुए एक भाग
  9. पिपली एक भाग
  10. कचोरा एक भाग
  11. त्वक एक भाग
  12. त्वक पत्र एक भाग
  13. एला (elaichi)एक भाग
  14. नागकेसर एक भाग
  15. बिल्व एक भाग
  16. शुण्ठी एक भाग
  17. मरीच एक भाग

भारत भैषज्य रत्नाकर के अनुसार इस औषधि का निर्माण कई कंपनियों द्वारा किया जाता है! यह टेबलेट के रूप में आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध होती है ।

भावना-

भृंगराज स्वरस आवश्यकता के अनुसार ।

सूतशेखर रस की सेवन मात्रा

एक से दो गोली दिन में 1 से 2 बार अधिकृत आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार ही सेवन करें ।

अनुपान -( जिस द्रव के साथ औषधि का सेवन करना है)

कफ प्रधान रोगों में अदरक के रस के साथ तथा शहद के साथ इसका सेवन करवाया जाता है ।

पित्त प्रधान रोगों में दूध और शक्कर के साथ किस का सेवन कराया जाता है ।

वात प्रधान रोगों में शुद्ध देसी घी तथा शक्कर के साथ इसका सेवन करवाया जाता है ।

सुतशेखर रस के फायदे एवं उपयोग- (use and benefits of sutshekhar Ras)

  • अम्ल पित्त( acidity)- खट्टी डकार गैस पेट में जलन सिर दर्द जैसी शिकायत में इसका उपयोग किया जाता है ।
  • मुंह में बार बार पानी बनना, मुंह में अजीब तरह का बार-बार खट्टापन आना की शिकायत में भी इसका उपयोग किया जाता है ।
  • भूख की कमी में भी इसका उपयोग किया जाता है ।
  • पेट की गैस से होने वाले सिर दर्द में भी इसका उपयोग किया जाता है ।
  • हिक्का रोग जिसमें बार-बार हिचकी आती है । इस रोग में भी इस का उपयोग किया जाता है।
  • पित्तज श्वास-( दमा), खांसी तथा पित्तज डिसेंट्री जिसे ग्रहणी नाम से जाना जाता है! में भी इसका उपयोग किया जाता है ।

सावधानियां-

आयुर्वेद की रस औषधियों में धात्विक घटक द्रव्य होने से अनुचित या अधिक मात्रा में सेवन नुकसानदायक होता है ।

चेतावनी-

यहां पर दी गई जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी औषधि का सेवन करने से पूर्व अधिकृत आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह जरूर लें ।

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