स्वायंभुव गुग्गुल swayambhuva guggul यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जो पूरी तरह से हर्बल है । आयुर्वेद शास्त्र भाव प्रकाश मध्यम खंड{ कुष्ठ रोग के अनुसार] कुष्ठ रोग की सबसे श्रेष्ठ दवा के रूप में माना गया है । खास करके सफेद दाग जिसे आयुर्वेद में श्वित्र नाम से जाना जाता है । सफेद दाग के लिए उपयोग किए जाने वाली गूगल कल्पना आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा प्रयोग में लाई जाती है । इस औषधि में गोमूत्र का प्रयोग किया जाता है । गूगल के शोधन में गोमूत्र से शोधन की प्रक्रिया अपनाई जाती है । इस वजह से सफेद के लिए उत्तम दवा के रूप में कार्य करती है । इस औषधि में बाकूची और गूगल का मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है ।
Table of Contents
स्वायंभुव गुग्गुल के घटक द्रव्य swayambhuva guggul ingredients
टेबलेट के रूप में मिलने वाली दवा में-
- बाकुची 5 भाग
- खदिर एक भाग
- निशोत्तर एक भाग
- गिलोय एक भाग
- दंती मूल एक भाग
- मुंडीतिका पुष्प 2 भाग
- मुस्ता एक भाग
- हरितकी 1 भाग
- विभितकी एक भाग
- कुटज छाल
- करंज के पत्ते
- निम्ब
- विडंग एक भाग
- आमलकी एक भाग
- हरिद्रा[हल्दी] एक साथ
- शुद्ध गुग्गुल 10 भाग [ गाय के मूत्र से सूचित]
- चित्रक मूल एक भाग
- आरग्वध एक भाग
- स्वर्ण माक्षिक भस्म 3 भाग
- शोधित शिलाजतु 5 भाग
- लोहा भस्म 2 भाग
स्वायंभुव गुग्गुल के उपयोग एवं फायदे swayambhuva guggul use and benefits
- सफेद दाग के लिए मुख्य रूप से इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
- त्वचा के पुराने एवं जटिल रोगों के लिए भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
- त्वचा के वह सभी रोग जिनसे स्त्राव आता हो ।
- शरीर में होने वाली खुजली के लिए भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
- मुख पर होने वाली फोड़ा फुंसियों तथा मुहांसों के लिए भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
- डायबिटीज के रोगी जिन्हें घाव सूखने में देरी होती है । उनके लिए भी यह औषधि प्रयोग में लाई जाती है ।
- पुराना गठिया रोग [ वात रक्त के लिए] भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
- बच्चों में होने वाला पामा रोग में भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
स्वायंभुव गुग्गुल swayambhuva guggul के सेवन से पूर्व विशेष सावधानी-
स्वायंभुव गुग्गुल में बाकूची यह उष्ण वीर्य का द्रव्य होने के कारण पित्त प्रकृति वाले तथा पित्तज विकार वाले बिना चिकित्सक की सलाह के सेवन न करें ।
स्वायंभुव गुग्गुल की सेवन मात्रा swayambhuva guggul dose
2 से 4 गोली दिन में दो से तीन बार आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें । रोगी के अनुसार तथा बल के अनुसार सेवन करें ।
स्वायंभुव गुग्गुल swayambhuva guggul में अनुपान
गुनगुना पानी, गोमूत्र , शहद , खदिरारिष्ट, महामंजिष्ठादि काढ़ा के साथ रोग के अनुसार चिकित्सक के निर्देशन में सेवन करें ।
स्वायंभुव गुग्गुल swayambhuva guggulकहां से खरीदें-
आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर औषधि टेबलेट में उपलब्ध होती है । बहुत सारी आयुर्वेदिक इसका निर्माण करती है ।
सावधानी-
- पित्त प्रक्रति एवं पित्त विकार वाले रोगियों में सावधानी से प्रयोग करे !
- औषधि को स्वच्छ एवं स्वच्छ स्थान पर रखें ।
- औषधि का प्रयोग चिकित्सक के निर्देशानुसार की करें ।
- बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
चेतावनी- यहां पर उपलब्ध करवाई गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व अधिकृत आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह अवश्य ले ।
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