त्रेलोक्य चिंतामणि रस (सुवर्ण घटित )-यह रसायन औषधि वातरोग, वात कफज रोगों में अधिक प्रभावी है! अधिकतर इस औषधि का उपयोग तब किया जाता है !जब व्यक्ति दुर्बल हो जाता है ! श्वसन गत रोगों से भी ग्रस्त होता है! संधियों में दर्द यानि जोड़ो का दर्द , गंभीर रूप ले लेते है! तब अनुभवी वैद्यो के द्वारा इसका उपयोग अलग अलग अनुपान देश काल के अनुसार सेवन करवाया जाता है!
आयुर्वेद मतानुसार ह्रदय में स्थित ओज को पुरे शरीर में ले जा कर !शरीर को कान्तिमय बनता है !
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घटक द्रव्य (ingredients)
स्वर्ण Gold ,रोप्य(चांदी भस्म) silver , मोती भस्म ,शुद्ध प्रद ,वैक्रांत भस्म , ताम्र भस्म ,तीक्ष्ण लौह भस्म ,अभ्रक भस्म,शुद्ध गंधक ,शंख भस्म, प्रवाल भस्म, शुद्ध हरताल एवं मनःशिला
( और पढ़े …. आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या कैसी होनी चाहिए ?)
गुण –
यह एक रसायन औषधि है !पुराना से पुराना कठिन से कठिन वात रोग ठीक हो सकता है!कमर दर्द ,स्नायु दोर्बल्य (शारीरिक कमजोरी ), बुढ़ापे की कमजोरी ,ह्रदय शूल heart pain , कफ वातरोग ,अंगो का जकड़ना ,पुरे शरीर की झनझनाहट ,विद्रधि (फोड़ा ) अदि रोगों में अच्छा लाभ मिलता है !
इसके कुछ दिनों के सेवन से शरीर में ताकत आ जाती है !और शरीर पर कान्ति आ जाती है !
संधि वात या वातरोग में महारास्नादी क्वाथ अथवा दशमूल क्वाथ के साथ शहद में मिलकर सेवन करे !
कफ विकार में आदि रस या शहद के साथ देवे!
शारीरिक कमजोरी तथा कमर दर्द back pain में अश्वगंधा और चोब चीनी के क्वाथ के साथ शहद मिला कर देवे !
मात्रा- Dose
१२५ मिलीग्राम से २५० मिली ग्राम अधिकृत आयर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार रोगानुसार अनुपन भेद से सेवन करना चहिये !
पथ्य अपथ्य (परहेज )
पथ्य ( सेवन करने योग्य )-
गेंहू पुराना चावल कुल्थी घी ,दूध,मांस , मुनक्का ,नारंगी, विदाना ,परवल , सहजन,अदरक, लहसुन , सेंधा नमक , बादाम , पिस्ता आदि का सेवन करे ! तेल की मालिश करे!
अपथ्य –
खट्टे, चरपरे, तले हुए. फ़ास्ट फ़ूड का सेवन न करे !
(और पढ़े …अभ्रक भस्म के फायदे )
चेतावनी -किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व अधिकृत आयुर्वेद चिकत्सक की सलाह जरुर लेवे !