कई बार आपने अपने परिवार या रिश्तेदार परिचित पथरी की समस्या को सुना होगा , इसके असहनीय दर्द के बारे में सुना होगा ! पथरी एक आम समस्या है ! इससे घबराने की जरुरत नहीं है ! अधिकतर पथरियां जिसे आयुर्वेद में अश्मरी कहा जाता है ! आयुर्वेद की दवाई खाने से निकल जाती है ! अगर आपको एक्स रे या सोनोग्राफी में पथरी की समस्या बताया है तो आपको किसी आयुर्वेद चिकित्सक से जरुर मिलना चाहिए! आयुर्वेद की दवाइयों से आपकी पथरी का इलाज बिना चिर फाड़ के दवाई लेने से हो जायेगा !
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पथरी क्या है ?
पथरी हमारे शरीर में खाई भी हो सकती है ! सामान्यतः यह किडनी (वृक्क ) में , पित्ताशय , अग्नाशय में हो सकती है ! पथरी पानी अथवा खाद्य पदार्थो के माध्यम से खनिज लवण के कण आपस में जुड़ कर एक पत्थर का रूप लेकर ! पथरी बन जाती है ! जब यह पथरी मूत्र मार्ग में रुकावट पैदा करती है तब अत्यधिक दर्द होता है !
पथरी के लक्षण –
- असहनीय तीव्र पीड़ा या दर्द
- दर्द कमर के दायें या बाएं भाग में हो सकता है!
- दर्द में चुभन जेसी पीड़ा हो सकती है !
- दर्द पीछे की तरफ जाता है !
- रोगी को बेचेनी होती है !
- कई बार रोगी जमीन पर लोटने लगता है !
- मूत्र के साथ में खून की बुँदे आ सकती है !
- लगातार उल्टियो, चक्कर की शिकायत हो सकती है !
अंग्रेजी दवाइयों से पथरी का इलाज कैसे होता है ?
- दर्द निवारक दवाइयाँ !
- ग्लूकोस की बोतल तेज चढ़ा कर करते है !
- मूत्रल औषधियों को देकर !
- उलटी होने पर उलटी रोकने की दवाइयाँ !
- पानी ज्यादा पिलाकर !
- अंत में सर्जरी ही आखरी इलाज होता है !
आयुर्वेद में पथरी का इलाज कैसे किया जाता है ?
अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक पथरी का इलाज निपुणता से करते है ! इसका इलाज 15 दिन से ३ महीने तक का हो सकता है !पथरी की प्रकर्ति , शरीर में कौनसे स्थान पर है ? कितनी बड़ी है ?इन सभी बातो को ध्यान में रखते हुए ! चिकित्सा व्यवस्था पत्रक लिखा जाता है !पाषणवज्र रस 250 मिलीग्राम कुस्त हजरुल यहूदी 250 मिलीग्राम यवक्षार 250 मिलीग्राम श्वेत पर्पटी 250 मिलीग्राम ————————————————- दिन दो बार सुबह शाम चिकित्सक के निर्देशानुसार ही सेवन करे ! गोक्षुरादी गुगलु २ गोली सुबह शाम खाने के बाद चन्द्र प्रभा वटी १ -१ गोली सुबह शाम निरी सिरप २-२ चम्मच सुबह शाम सिस्टोन टेबलेट १-१ सुबह शाम वरुणादि कषाय टेबलेट १ -१ गोली सुबह शाम खाने के बाद आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श अनुसार सेवन करे ! आयुर्वेद में पथरी को गला कर तोड़ने वाली दवाईया दी जाती है जो धीरे धीरे पथरी को भंगुर करती है और टुकड़े होकर निकलती है ! मूत्रल औषधियों का उपयोग होता है ! जैसे चंद्रप्रभा वटी , वरुणा दि कषाय ! पथ्य – खान-पान रहन सहन करना चाहिए !
पित्ताशय की पथरी में की करे ?
पित्ताशय की पथरी में पित्त रस ही पित्ताशय में जम जाता है ! वही बाद में पित्ताशय के मुंह ने आ कर फस जाता है ! वही पित्ताशय की पथरी कहलाती है! अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति में पित्ताशय की पथरी में ओपरेशन ही एक मात्र इलाज है! पित्ताशय की ठेली को बहार निकल दिया जाता है ! फिर कुछ सावधानिया बरतनी होती है ! जैसे भारी भोजन , घी दूध , दूध से बनी वस्तुए, मिठाई, से परहेज करना पड़ता है !
पित्ताशय की पथरी में आयुर्वेदिक इलाज –
पित्ताशय की पथरी में आयुर्वेद में कोई लाइन ऑफ़ ट्रीटमेंट नहीं है फिर भी कुछ चिकित्सको द्वारा यह सलाह दी जाती है ! की खाली पेट गुडहल के फुल का सेवन करने सेपित्ताशय का रस पिगलने लगाता है ! और धीरे धीरे पथरी निकलती है !
पिताशय की पथरी में योग –
शीर्षा सन , कपालभाती दोनों योग किडनी की पथरी और पित्ताशय की पथरी में जल्दी आराम हो जाता है ! जो लोग शीर्षा सन नहीं कर सकते तो कपाल भाती आसन जरुर करे !
क्या खाए ?
- खट्टी छाछ का सेवन करे!
- कुल्थी की दल को उबालकर उसका पानी पिए !
- निम्बू के रस का सेवन करे !
- पानी ज्यादा पिए !
- मुली का उपयोग करे !
- सेब का सिरका उपयोग करे !
क्या ना खाए ?
- बैंगन ,पालक, पपीता का सेवन न करे !
- बिज वाली सब्जी का प्रयोग न करे या कम करे !
- विकृत आहार , तले हुए पदार्थो का सेवन न करे !
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चेतावनी- यहाँ पर उपलब्ध जानकारी चिकित्सक की सलाह नहीं है ! किसी भीअयुर्व्र्द औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह जरुर करे !