द्राक्षासव drakshasav use

द्राक्षासव drakshasav uses

स्त्रोत- भैषज्य रत्नावली के अनुसार रोगाधिकार -ग्रहणीद्राक्षासव अंगूर मुनक्का से बनने वाली आयुर्वेदिक औषधि योग आसव है । आयुर्वेदाचार्य द्वारा द्राक्षासव का उपयोग कई विभिन्न रोगों में किया जाता है । मुख्य रूप से द्राक्षासव drakshasav use का उपयोग आम का पाचन करने में तथा त्रिदोष [वात ,पित्त ,कफ ] का शमन करने के लिए किया जाता है । यह मधुर ,शीत और धातुओ का पोषण करने वाला योग होने के कारण कमजोरी की दूर करता है !

द्राक्षा के साथ काली मिर्च, पीपल, लवंग आदि द्रव्य श्वसन तंत्र को मजबूत बनाते हैं । प्राणवह स्रोतस के लिए यह औषधि लाभकारी है ! युक्ति कल्पना से कई प्रकार के रोगों में भी उपयोग किया जाता है !

द्राक्षासव के घटक द्रव्य- [ ingredients of drakshasav]

हर 10ml में निम्न द्रव्य उपयोग किए जाते हैं ।

  1. द्राक्षा
  2. शर्करा
  3. मधु [ शहद]
  4. गुड
  5. धातकी के फूल

प्रक्षेप द्रव्य-

  1. कंकोल
  2. जायफल
  3. लवंग
  4. मरीच [ काली मिर्च]
  5. चव्य
  6. चित्रक
  7. निर्गुंडी
  8. पिपली
  9. पीपला मूल
  10. नागकेसर
  11. इलायची
  12. त्वक [दालचीनी ]
  13. त्वक पत्र [दालचीनी के पत्ते ]

द्राक्षासव का उपयोग- द्राक्षासव drakshasav use

  • आम का पाचन करने के लिए ।
  • खांसी में
  • कुकर खांसी में
  • टीबी के कारण होने वाली खांसी[ cough due to tuberculosis]
  • दमा[ अस्थमा ]
  • पेट में गैस बनना
  • अग्निमांद [ भूख की कमी]
  • ग्रहणी रोग
  • शारीरिक कमजोरी इत्यादि में प्रयोग किया जाता है ।

सेवन मात्रा- [ dose of drakshasav]

10 से 20 एम एल की मात्रा समान गुनगुने जल से भोजन करने के बाद चिकित्सक के निर्देशन में सेवन करें ।

कहां से खरीदें-

हर मेडिकल स्टोर पर द्राक्षासव नाम से अलग-अलग कंपनी के उपलब्ध है । द्रव रूप में

सावधानी-

  • बच्चों [children]की पहुंच से दूर रखें ।
  • साफ एवं स्वच्छ स्थान पर रखें ।
  • बच्चों एवं गर्भवती महिला [ pregnant lady]में चिकित्सक की सलाह से ही सेवन करें ।

चेतावनी- इस लेख में उपलब्ध समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह आवश्यक है ।

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