कनकासव के फायदे- खांसी दमा की एक अत्यंत प्रभावशाली आयुर्वेदिक आसव है । इस आसव् में कई ऐसी औषधियों का उपयोग किया जाता है । जैसे मधुयष्टी , धतूर,कंटकारी, पिप्पली , भारंगी जो ब्रोंकोडाइलेटर] श्वास नलिकाओं का विस्फारण का काम करते हुए श्वास नालिकाओ में बने कफ को बहार निकलने का काम करता है ।
श्वास नली में अवरोध को हटाकर श्वास लेने की कठिनाई को कम करते हैं ।
कनकासव शरीर में तथा फेफड़ों में सूजन को काम करता है ।
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कनकासव के घटक द्रव्य-
- धतूर
- वासा
- यष्टिमधु
- पिप्पली
- कंटकारी
- नागकेसर
- सोंठ
- भारंगी
- तालीसपत्र
- धातकी
- द्राक्षा
- शर्करा
- शहद
कनकासव के फायदे उपयोग-
- कनकासव फेफड़ों में जमे हुए कब को बाहर निकाल कर खांसी को ठीक करता है ।
- वृद्धजनों में फेफड़ों की कमजोरी की वजह से होने वाला अस्थमा में
- राजयक्ष्मा ट्यूबरक्लोसिस के रोगी भी इसका उपयोग करके स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं ।
- पथरी के कारण होने वाले दर्द में भी कनकासव का प्रयोग किया जाता है । क्योंकि इसमें दर्द निवारक एवं सुजन को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं ।
- चिकित्सक अपने युक्ति के अनुसार कई रोगों में इसका प्रयोग करते हैं । जैसे उदरशूल
सेवन मात्रा-
दो से 4 छोटी चम्मच लगभग 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा सामान जल से भोजन के उपरांत उम्र और बल के अनुसार चिकित्सक के आदेशानुसार सेवन करें ।
कहां से खरीदें?
हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है । कनकासव नाम से आयुर्वेदिक फार्मेसी इसका निर्माण एवं विक्रय करती है ।
सावधानी-
बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
निर्देशित की गई मात्रा से अधिक मात्रा में सेवन ना करें ।
साफ एवं स्वच्छ स्थान पर रखें ।
चेतावनी- इस लेख में उपलब्ध समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह आवश्यक है ।
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