अश्वगंधारिष्ट आयुर्वेदिक मेडिसिन -यह एक बल देने वाली शरीर को मजबूती देने और शरीर के सप्त धातु (रस रक्त मांस मेद अस्थि मज्जा शुक्र) का पोषण करने वाला अरिष्ट है।
अश्वगंधारिष्ट आयुर्वेदिक मेडिसिन में अश्वगंधा मुख्य घटक द्रव्य के रूप में प्रयोग किया जाता है। अश्वगंधारिष्ट का मुख्य कार्य सप्त धातुओं में अग्नि प्रदीप्त कर। धातुओ की पोषण की जो प्रक्रिया है उसमें सुधार लाता है। मानसिक और शारीरिक थकान को दूर करता है। साथ ही दुर्बलता और शारीरिक कमजोरी दोनों को दूर करता है। शरीर में स्फूर्ति देने वाला और शुक्र क्षय में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा इसका प्रयोग रोगियों पर करवाया जाता है। जरा अवस्था जनित वात रोगों के साथ-साथ, इंद्रिय शिथिलता और नपुंसकता जैसी बीमारियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
Table of Contents
अश्वगंधारिष्ट आयुर्वेदिक मेडिसिन के घटक द्रव्य
- अश्वगंधा 25 भाग
- श्वेत मूसली 10 भाग
- धातकी के फूल 8 भाग
- मधु 150 भाग
- गुड आवश्यकता के अनुसार
- मुलेठी 5 भाग
- विदारी 5 भाग
- मंजिष्ठा 5 भाग
- हरितकी 5 भाग
- हरिद्रा 5 भाग
- दारू हरिद्रा 5 भाग
- रास्ना 5 भाग
- मुस्ता 5 भाग
- अर्जुन 5 भाग
- त्रिवृत 5 भाग
- दुरालाभा 4 भाग
- चित्रक 4 भाग
- वचा 4 भाग
- श्वेत चंदन 4 भाग
- रक्त चंदन 4 भाग
- सारिवा 8 भाग
- नागकेसर एक भाग
- प्रियंगु 2 भाग
प्रक्षेप द्रव्य
- त्रिजात प्रति 2 भाग
- त्रिकटु प्रति एक भाग
अश्वगंधारिष्ट आयुर्वेदिक मेडिसिन के उपयोग
- शारीरिक दुर्बलता
- शुक्र की कमी
- वात नाड़ी दुर्बलता
- सभी प्रकार के वात विकार
- बेहोशी
- भ्रम की समस्या
- बेचैनी घबराहट
- बार-बार भूलने की समस्या
- वृद्धावस्था के कारण इंद्रिय शिथिलता
- उन्माद
- भूख की कमी
- शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी
- नपुंसकता
सेवन मात्रा
दो से चार चम्मच की मात्रा 10 से 20 एम एल भोजन के उपरांत गुनगुने समान जल से सुबह शाम चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करना चाहिए।
कहां से खरीदें ?
हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है। आजकल ऑनलाइन स्टोर पर भी इसकी बिक्री की जाती है।
सावधानी
बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
निर्धारित एवं निर्देशित मात्रा से अधिक मात्रा में सेवन ना करें।
दही छाछ अचार आमचूर खटाई एवं अधिक प्रोटीन वाली चीजें तथा फास्ट फूड जंक फूड का सेवन ना करें।
फ्रिज में ना रखें।
चेतावनी- यहां पर दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है। किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह आवश्यक है।
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