विडंगारिष्ट के फायदे– कभी आप आयुर्वेद हॉस्पिटल गए हो और आपको आयुर्वेद डॉक्टर ने विडंगारिष्ट लिखा है तो हो सकता है । आपको पेट के कीड़ों की समस्या हो । आइए जानते हैं विडंगारिष्ट के बारे में
वैसे तो आयुर्वेद में पेट के कीड़ों के लिए बहुत सारी दवाइयां हैं । परंतु उनमें से एक है विडंगारिष्ट
पेट के कीड़ों के लिए मुख्य रूप से आयुर्वेद में उपयोग की जाने वाली औषधि है विडंग । विडंगारिष्ट में विडंग के साथ-साथ और औषधियों का उपयोग किया जाता है । विडंगारिष्ट में उपयोग किए जाने वाली औषधियां अधिकतर रुक्ष उष्ण और तीक्ष्ण प्रकृति की होती है । यह वात कफज रोगों में उपयोग किया जाता है । यह आमाशय एवं आत में स्थित कीड़ों का नाश करता है ।
शरीर में होने वाली बार-बार पेट के कीड़े की पुनरावृति को रोकने के लिए भी विडंगारिष्ट का प्रयोग किया जाता है । विडंगारिष्ट जठर की अग्नि को बढ़ाकर पाचन तंत्र को भी सुधार ता है ।
Table of Contents
विडंगारिष्ट के घटक द्रव्य-
- विडंग
- पीपली
- रास्ना
- कुटज
- इन्द्रयव
- पाठा
- एल वालुक
- आमलकी
- धात की
- छोटी इलायची
- दालचीनी
- दालचीनी के पत्र
- प्रियंगु
- कांचनार
- लौध्र
- शुंठी
- काली मिर्च
- पिप्पली
- मधु[शहद]
विडंगारिष्ट के फायदे एवं उपयोग-
- पेट के कीड़ों को मारने के लिए ।
- शरीर पर होने वाले फोड़े फुंसियों के लिए ।
- गंडमाला- जिसमें गले में गांठे हो जाती है ।
- पथरी की समस्या में भी उपयोग किया जाता है ।
- फिस्टुला भगंदर में भी इसका उपयोग किया जाता है ।
सेवन मात्रा-
दो से चार चम्मच अथवा 10 से 20 मिलीमीटर की मात्रा समान गुनगुने पानी से सुबह शाम चिकित्सक के निर्देशानुसार भोजन करने के बाद सेवन करना चाहिए ।
सावधानी-
बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
निर्देशित मात्रा से अधिक मात्रा में सेवन ना करें ।
गरिष्ठ भोजन मीठी खाद्य पदार्थों का त्याग करें ।
सामान्य तापमान पर साफ एवं स्वच्छ स्थान पर रखें ।
फ्रीज में ना रखें ।
कहां से खरीदें?
हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है । आजकल ऑनलाइन स्टोर पर भी उपलब्ध है ।
चेतावनी- यहां पर दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व रजिस्टर्ड आयुर्वेद आवश्यक है ।
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