क्रव्याद रस – आज हम जानेंगे क्रव्याद रसके बारे में ।क्रव्याद का शाब्दिक अर्थ होता है कौआ । जैसे एक कौवा भारी भोजन जो देर से पचता है। ऐसे भोजन को भी बड़ी आसानी से पचा लेता है। उसी प्रकार से अगर कोई रोगी जिसे पेट में दर्द, पेट काअजीर्ण, भूख ना लगना, दस्त की शिकायत, पेट में आम बनना, जैसे रोगो की शिकायत है। उन्हें आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा सेवन करवाया जाता है । ताकि पेट की अग्नि प्रदीप्त तो हो जाए जिससे भारी से भारी हो भोजन जैसे मांस , स्निग्ध एवं गुरु भोजन आदि को आसानी से पचाया जा सके।
क्रव्याद रस उत्तम कोटि का अग्नि प्रदीप्त करने वाला रस है। इसका सेवन अन्य औषधियों के योग में प्रयोग करवाया जाता है। यह आम पाचनके साथ में पेट दर्द को भी मिटाता है।कफ की प्रधानता और कफ वात प्रधान र उत्पन्न अपच तथा पेट में आम की उत्पत्ति की समस्या को खत्म करने के लिए अत्यंत लाभकारी है।
Table of Contents
क्रव्याद रस के घटक द्रव्य-
भैषज्य रत्नावली के अनुसार अग्निमांद्य रोगाधिकार के निम्नानुसार है।
- शुद्ध पारद 2 भाग
- शुद्ध गंधक 4 भाग
- ताम्र भस्म 1 भाग
- शोधित टंकण 8 भाग
- बिड़ लवण 4 भाग
- पाचन नींबू का रस 20 भाग
भावना-
- पंचकोल काढ़ा
- चव्य काढा
- चित्रक मूल काढा
- सोंठ का काढ़ा
- अम्लवेतस काढ़ा
- पिप्पलीमुल काढ़ा
- चणकाम्ल
सभी आवश्यकता के अनुसार।
क्रव्याद रस के उपयोग
- अजीर्ण अपच की समस्या।
- पेट के दर्द में।
- आफरा होने पर
- भूख ना लगने की समस्या में।
- ग्रहणी तथा अतिसार रोग में।
- भारी भोजन नहीं पचने की स्थिति में।
सेवन मात्रा
दो से चार गोली दिन में दो से तीन बार चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें।
अनुपान
नींबू के रस के साथ अथवा गुनगुने पानी के साथ में
विशेष सावधानी
पित्त प्रकृति और पित्त प्रधान व्यक्तियों में देशकाल उम्र तथा बल के अनुसार युक्ति पूर्वक इसका प्रयोग करना चाहिए।
कहां से खरीदें?
हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है। आजकल ऑनलाइन भी कई कंपनियों द्वारा विक्रय किया जाता है।
चेतावनी- इस लेख में उपलब्ध समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है। किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह आवश्यक है।
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