स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण जैसा कि नाम में ही स्वादिष्ट शब्द जुड़ा हुआ है। विरेचन से तात्पर्य है पेट की कब्जी दूर करना । वैसे तो आयुर्वेद की कोईभी दवाई लेने से पहले ही मरीजों के मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है । लेकिन स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण एक ऐसा योग है जिसे बच्चे से लेकर बूढ़ा व्यक्ति भी आसानी से ले लेता है । यह रोचक और सेवन करने में आसान है । इसका स्वाद अच्छा होता है ।
इसका उपयोग कब्ज त्वचा के विकारों तथा आम का पाचन करने के लिए किया जाता है ।
आज हम जानेंगे स्वादिष्ट विरेचन के घटक द्रव्य के बारे में तथा फायदों के बारे में ।
Table of Contents
स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण के घटक द्रव्य
रस तंत्र सार तक के अनुसार
- शुद्ध गंधक एक भाग
- शर्करा 4 भाग
- मधुयष्टि एक भाग
- स्वर्णपत्री (सनाय )तीन भाग
- मिश्रेया एक भाग
स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण के फायदे एवं उपयोग
- खासकर इस चूर्ण का प्रयोग कब्जी के लिए करवाया जाता है ।
- आंतों में आम बनने पर प्रयोग करवाया जाता है ।
- जिन रोगियों को मस्सों की शिकायत (पाइल्स की शिकायत), भगंदर की शिकायत है उन्हें भी पेट साफ करने के लिए प्रयोग करवाया जाता है ।
- त्वचा विकारों के लिए (चमड़ी के रोगों के लिए) विरेचन कर्म करवाने के लिए प्रयोग करवाया जाता है ।
सेवन मात्रा
3 से 5 ग्राम (लगभग एक चम्मच) की मात्रा गर्म पानी से भोजन करने के बाद चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करवाएं ।
कहां से खरीदें?
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सावधानी
कब्जी दूर होने के बाद प्रयोग करना बंद कर दें । इसकी आदत ना लगाएं ।
चेतावनी- इस पोस्ट में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पहले आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह लें ।
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