कुक्कुटाण्डत्वक भस्म के फायदे

कुक्कुटाण्डत्वक भस्म के फायदे

कुक्कुटाण्डत्वक भस्म के फायदे-अंडों के छिलकों से बनाई जाने वाली भस्म । क्या आप जानते हैं अंडों के छिलकों का प्रयोग आयुर्वेदिक दवा के रूप में भी किया जाता है ।कुकुट का मतलब मुर्गी अंड त्वक का मतलब अंडे का छिलका ।

अब आप सोच रहे होंगे कि इसका प्रयोग दवा के रूप में क्यों किया जाता है ।

अंडे के छिलके में अधिक मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है । जिन रोगियों में कैल्शियम की कमी के कारण होने वाले विभिन्न प्रकार के रोग जैसी हड्डियों की कमजोरी, श्वेत प्रदर, मासिक की अनियमितता जैसे कई अन्य रोगों में इसका प्रयोग भी कराया जाता है ।

कुक्कुटाण्डत्वक भस्म का निर्माण

आयुर्वेदिक शास्त्रोक्त विधि द्वारा अग्नि के द्वारा कराया जाता है । शुद्ध अंडो के छिलकों कुकुट पीसकर सराव ( एक तरह का मिट्टी का बर्तन) के अंदर डाल कर ।

चंगेरी का रस मिलाया जाता है । चंगेरी के रस उतना ही मिलाया जाता है जितना कि टूटे हुए अंडे के छिलकों को भीगा सकें ।

सराव को आपस में मिलाकर लेप करके बंद कर दिया जाता है । इसके बाद गोबर के उपले से अग्नि द्वारा पकाया जाता है । इस प्रकार श्वेत रंग की भस्म का निर्माण किया जाता है । इसे श्वेतांड भस्म भी कहते हैं ।

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कुक्कुटाण्डत्वक भस्म के फायदे एवं उपयोग-

  1. कुक्कुटाण्डत्वक भस्म का उपयोग श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर में किया जाता है ।
  2. बार-बार मूत्र आने की समस्या सोम रोग को दूर करती है ।
  3. हृदय की दुर्बलता दूर करने के लिए भी इसका प्रयोग कराया जाता है ।
  4. स्त्रियों को प्रसव पश्चात इसका सेवन करवाने से शरीर बलवान रूपवान बनता है ।
  5. कम उम्र की होने पर अनेक संतान को जन्म देकर कमजोर काया वाली महिलाओं के लिए भी कुक्कुटाण्डत्वक भस्म अत्यंत फायदेमंद और बल देने वाली होती है । सितोपलादि चूर्ण के साथ में कुक्कुटाण्डत्वक भस्म के सेवन करवाने से 1 से 2 माह में शरीर अच्छा हो जाता है ।
  6. पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली होती है ।
  7. वृद्ध व्यक्तियों को इसका सेवन करवाने से शरीर बलवान और ताकतवर होता है ।
  8. सभी प्रकार की प्रकृति और उम्र वाले लोगों में यह फायदे देने वाली औषधि है ।
  9. मधुमेह रोगियों के लिए गुणकारी भस्म इसका प्रयोग फायदेमंद होता है ।
  10. यह एक वाजी कर औषधि के रूप में थी प्रयोग में लाई जाती है । यह शरीर का मांस बढ़ाती है और बल देती है ।
  11. शुक्र की कमजोरी, स्वप्नदोष, नपुंसकता से संबंधित समस्याओं में भी इसका प्रयोग अत्यंत फायदेमंद होता है ।

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सेवन मात्रा-

125 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम तक की मात्रा आयु बल और रोग के अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी के निर्देशानुसार ही सेवन करें ।

अनुपान ( औषधि का सेवन किस द्रव्य के साथ किया जाए)

मिश्री मक्खन, च्यवनप्राश, दूध मलाई, आंवले का रस अथवा अनार के रस के साथ ।

कहां से खरीदें?

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सावधानी-

औषधि केवल अच्छी कंपनी की खरीदें ।

चिकित्सक की सलाह के बिना इसका सेवन ना करें ।

बच्चों की बहुत से दूर रखें ।

सामान्य स्वच्छ सूखे स्थान पर स्टोर करें ।

चेतावनी- उपरोक्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य ले ।

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