ताम्र पर्पटी tamra parpati

ताम्र पर्पटी tamra parpati

ताम्र पर्पटी tamra parpati-आयुर्वेद में दवाइयां बनाने का अलग अलग तरीका है । इसमें से पर्पटी parpati कल्पना भी एक प्रकार की दवा बनाने की प्रक्रिया है । आज हम बात करेंगे ताम्र पर्पटी tamra parpati के बारे में । कैसे बनाई जाती है? किन रोगों में फायदा होता है? किन-किन औषधियों की भावना दि जाती है? और क्या सावधानियां ताम्र पर्पटी tamra parpati के सेवन के समय बरतनी चाहिए ? आइए जानते हैं

ताम्र पर्पटी tamra parpati के घटक द्रव्य

(र . यो यो.सा के अनुसार)

  1. शुद्ध पारद 40 ग्राम ( 4 तोला)
  2. शुद्ध गंधक 40 ग्राम( 4 तोला
  3. ताम्र भस्म 20 ग्राम०( 2 तोला)

ताम्र पर्पटी tamra parpati बनाने की विधि-

शुद्ध पारद और शुद्ध गंधक को मिलाकर कज्जली बनाई जाती है । इसके पश्चात ताम्र भस्म को मिलाया जाता है ।

भावना द्रव्य

ताम्र पर्पटी tamra parpati निम्न औषधीय द्रव्य के रस क्वाथ की भावना दी जाती है ।

  1. भांगरे का रस
  2. अडूसा के पत्तों का रस
  3. त्रिफला का काढ़ा
  4. त्रिकटु का काढ़ा
  5. अदरक का स्वरस
  6. सहेजने के मूल का काढ़ा
  7. तेजपत्ता का काढ़ा
  8. कटेली का रस
  9. बच्छ नाभ का काढ़ा
  10. चंदन का काढ़ा 7 भावना

सभी द्रव्य की ७ भावना दी जाती है । रोग के अनुसार अलग-अलग द्रव्य की भावना चिकित्सक विशेषज्ञ द्वारा दिलवाई जाती है ।

सेवन मात्रा

125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम दिन में दो से तीन बार रोग के अनुसार, आयु ,बल के अनुसार, आयुर्वेद चिकित्सक विशेषज्ञ की देखरेख में प्रयोग करें ।

अनुपान

ग्रहणी रोग में सिका हुआ जीरा 500 मिलीग्राम, धोयी हुई भांग १२५ मिली ग्राम छोटी इलायची का पाउडर 250 मिलीग्राम मट्ठे के साथ देना चाहिए ।

अर्श अर्श रोगियों को इसका सेवन नागकेसर चूर्ण के साथ करवाना चाहिए।

और पढ़ें……पर्पटी क्या होता है

ताम्र पर्पटी tamra parpati के फायदे

  • संग्रहणी, ग्रहणी के लिए फायदेमंद है ।
  • प्लीहा वृद्धि
  • लिवर का बढ़ जाना
  • अर्श रोग में नाग केसर चूर्ण के साथ मक्खन और मिश्री मिलाकर दिया जाता है ।
  • पेट दर्द में अरंडी के तेल के साथ सेवन करवाया जाता है ।
  • मौसम बदलने के साथ में होने वाला बुखार जिसमें से फेफड़ों में कफ की शिकायत होती है । जिसके लिए भी फायदेमंद है ।
  • 1 दिन छोड़कर आने वाला बुखार के लिए भी प्रयोग की जाती है ।
  • किडनी में होने वाले दर्द में इसका प्रयोग कराया जाता है।
  • गठिया रोग की चिकित्सा के लिए इसका प्रयोग कराया जाता है ।
  • त्वचा के रोगों के लिए भी फायदेमंद है ।
  • पीलिया रोग के साथ में अतिसार में भी इसका प्रयोग कराया जाता है ।
  • ताम्र भस्म की प्रधानता के कारण विशेष रूप से लीवर और स्प्लीन के रोगों के लिए अधिक फायदेमंद है ।
  • लिवर फंक्शन को अच्छा बनाता है ।
  • यकृत वृद्धि के कारण होने वाला होने वाला अतिसार दूर करने में सहायक है ।

कहां से खरीदें?

हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है ।

सावधानी

  • खनिज औषधियों के कारण बिना चिकित्सक की सलाह के सेवन ना करें ।
  • ताम्र पर्पटी tamra parpati की मात्रा को चिकित्सक की देखरेख में धीरे धीरे बढ़ाया जाता है । इसके बाद धीरे-धीरे मात्रा को कम किया जाता है ।
  • बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
  • कमरे के तापमान पर स्टोर करें ।

चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेदिक विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह जरूरी है ।

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