आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के तरीके-आयुर्वेद के शास्त्रों में आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के पुराने से पुराने तरीके मौजूद है। समय के साथ साथ दवाइयां बनाने की प्रक्रिया सुधरती रही । आजकल प्रचलित औषधियों का वर्णन ऋग्वेद में देखने को मिलता है।
वैदिक काल में चिकित्सक का दर्जा ऊंचा होता था उस समय चिकित्सक का नाम ”भिषक” अलंकृत किया गया ।
आयुर्वेदिक दवाइयों के बनाने की विधियों में चरक संहिता ,सुश्रुत संहिता , अष्टांग संग्रह ,
,शारंगधर संहिता , चक्रदत्त ,भैषज्य रत्नावली सभी में मिलता है । परन्तु चरक संहिता से ही सभी का सार निकालता है ।
क्रमशः नविन कल्पनाओ का विस्तार एवं सार गर्भ देखने को मिलाता है ।
रोगियों की आयु , बल , दवाई ले सकने की संभावना , औषधि की कार्यशीलता के आधार पर विभीन्न कल्पनाओ का अविष्कार हुआ । चूर्ण, वटी, केप्सूल , सिरप सभी का उत्तरोत्तर प्रादुर्भाव हुआ है ।
कई औषधीय ऋतू मौसम के अनुसार होती है । कई औषधीया रोगी के रोग के समय नहीं मेल पाती है तो कोई औषधि रोगी के सेवन करने की कठिनाइयों एवं रोग की अवस्था के अनुसार बनाई जाती है ।
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आयुर्वेद में सोमरस क्या है?
”सोमरस” एक औषधि के रूप में मानी जाती थी वैसे तो सोमरस आज के समय में सूरा या शराब से जोड़ा जाता है । लेकिन आयुर्वेद में तलाशा नामक वनस्पति थी जो आज के समय में विलुप्त हो चुकी है।
सोमरस एक औषधि थी जिसकी निर्माण की विधि शास्त्रों में उपलब्ध नहीं होने के कारण निर्माण विधि आज भी नहीं मिलती है ।
इसको पत्थर के सिल बट्टे पर मंत्रो के जाप के साथ निर्धारित मात्रा में पानी के छींटे देते हुए कूट कर सोम का रस बनाया जाता था । साफ़ कपडे से छान कर इकठ्ठा किया जाता था । मिटटी के पात्र में एकत्र किया जाता था ।
वही सूरा शराब उस समय भी निंदनीय था आज भी निंदनीय बना हुआ है ।
मुख्य कल्पनाये :-
औषध कल्पना –
- कषाय कल्पना – स्वरस , कल्क ,श्रत (क्वाथ ) ,शीत(हिम ) ,फांट
- स्नेह कल्पना – स्नेह्पाक , घृत मुर्च्छन
- संधान कल्पना- आसव ,अरिष्ट
- अन्य कल्पनाये
आहार कल्पना –
मांसरस ,वेसवार, क्षीर पाक ,यवागू ,पेया , विलेपि, मंड कल्पना ,भात , खिचड़ी
आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के तरीके विस्तार से आगे के लेखो में मिलेगी ।