सिंघाड़ा खाने के फायदे

सिंघाड़ा खाने के फायदे

सिंघाड़ा खाने के फायदे- सिंघाड़ा जलाशय में पैदा होने वाला एक पौष्टिक एवं बलवक फल है जिसका उपयोग खाद्य नों में, विशेषकर उपवास व्रत में, फलाहारी आहार में तो किया ही जाता है, साथ ही इसका उपयोग | कुछ व्याधियों का घरेलू इलाज करने में भी किया जा सकता है। सिंघाड़े के उपयोग की जानकारी प्रस्तुत है।

भावप्रकाश निघण्टु में लिखा है
वृाटक हिम स्वादु गुरु वृष्यं कषायकम् । ग्राहि शुक्रानिलश्लेष्मप्रर्द दाहाखपित्तनुन् ।

सिंघाड़ा भाषा भेद से नाम

  • संस्कृत श्रृङ्गाटक |
  • हिन्दी-सिंघाड़ा |
  • मराठी- शिंगाडे।
  • गुजराती शीघोड़ा।
  • बंगला- पानिफल।
  • तैलुगु- पारिगाडा
  • तामिल सिंगेड़ा।
  • मलयालम – करिपोलम् । |
  • कन्नड़- गार।
  • फारसी सुरंजान
  • इंगलिश केलट्राप (Caltrop)
  • लैटिन ट्रेपा नेटन्स (Trapa natansi)

गुण-

सिंघाड़ा ठंडा , स्वादिष्ट, वीर्यवर्द्धक, भारी, कसैला, ग्राही, वीर्य, वात व कफ करने

वाला है और पित, रक्त विकार तथा दाह को नष्ट को नष्ट करता है।

परिचय-

सिंघाड़ा तालाब में फैली हुई लताओं में लगता है। यह कच्चा हरे रंग का और भूनने पर काले रंग के छिलके वाला हो जाता है। इसे छील कर खाया जाता है। इसमें प्रोटीन, | कार्बोहाइड्रेट, खनिजों में कैल्शियम, फास्फोरस, लोह, ताम्र, मेग्नीज, सोडियम, मैगनीशियम, पोटाशियम तथा आयोडीन और विटामिन ए, बी और सी जैसे पोषक तत्व होते हैं।

सिंघाड़ा खाने के फायदे

यह एक उपेक्षित और साधारण फल समझा जाता है लेकिन पौष्टिक गुणों से युक्त होता है। इसके लगातार सेवन से पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ती है और यौन-संस्थान स्नायुओं को बल प्राप्त होता है। उपवास व्रत में सिंघाड़े का सेवन किया जाता है। यहां सिंघाड़े के औषधीय उपयोग के कुछ घरेलू प्रयोग प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

दाद-सूखा सिंघाड़ा नींबू के रस में घिस कर दाद पर लगाएं। इसको लगाने पर जलन होगी लेकिन थोड़ी ही देर बाद खत्म भी हो जाएगी। इस प्रयोग से कुछ ही दिनों में दाद नष्ट हो जाती है।

सिंघाड़े में आयोडिन पर्याप्त मात्रा में होता है इसलिए

सिंघाड़े का सेवन टांसिलाइटिस से बचाव करता है।

रक्त प्रदर सिंघाड़े की रोटी खान से रक्त प्रदर रोग में आराम होता है।

सिंघाड़े के आटे को पानी में घोल कर पीने से भी आराम होता है।

गर्भाशय गर्भाशय को बलवान और स्वस्थ बनाने में सिंघाड़ा बहुत उपयोगी |

सिद्ध होता है। जिन स्त्रियों का गर्भाशय निर्बल हो गया हो, गर्भ स्थापना न होती हो या गर्भपात हो जाता हो, उन्हें नियमित रूप से सिंघाड़े का सेवन विविध ढंग से करना चाहिए।

सिंगाड़े का हलवा महिलाओं के लिए बहुत गुणकारी सिद्ध होता है। इसके सेवन से श्वेत प्रदर रोग दूर होता है, चेहरे की निस्तेजता दूर होती है और शरीर पुष्ट व बलवान होता है।

यहां सिंघाड़े का हलवा बनाने की | विधि प्रस्तुत की जा रही है।

सिंघाड़े का हलवा-

सिंघाड़े का आटा 250 ग्राम, शक्कर 100 ग्राम और थोड़ी मात्रा में घी व छोटी इलायची। आटे को घी में अच्छे से भून कर गर्म पानी थोड़ी | मात्रा में डाल कर अच्छी तरह हिला चला कर शक्कर डाल दें और सीझने दें। जब हलवा पक जाए। तब इलायची के दानें पीस कर डाल दें और उतार लें। यह हलवा स्वादिष्ट व पौष्टिक तो है ही, उपवास में फलाहार के रूप में भी सेवन योग्य है।

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