कान में तेल डालने के फायदे

karnpuran कर्ण पूरण

आयुर्वेद के अनुसार कान में तेल डालने के फायदे- आयर्वेद में कई ऐसे राज छुपे है जो गहराई से जाने पर ही मिलते है । चलिए इसमें से एक है कर्ण पूरण मतलब की कान में तेल डालना , आखीर क्यों डालते है ? कान में तेल क्या फायदा है ? क्या इससे कोई नुकसान है। जानते है सब कुछ – पूरा पढ़े अधूरी जानकारी खतरनाक हो सकती है ।

आयुर्वेद के अनुसार कर्ण पूरण की विधि –

  1. कान में तेल डालने के फायदे-पहले ब्राम्ही या बादाम तेल से पुरे सर की मालिश की जाती है ।
  2. किसी भी स्वस्थ या रोगी व्यक्ति को एक तरफ लेटा कर कान में तेल को डालना चाहिए । कान में 2 बूंद से 15 बूंद तक तेल का पूरण किया जाता है। इस बात का पूरा ध्यान रखे की बहार तेल न निकले ।
  3. कर्ण पुरण के समय कान में नमी न ही इस बात का ध्यान रखे ।
  4. कान के मूल में मालिश करनी चाहिए ।
  5. कम से कम 2 मिनट से 20 मिनिट चिकित्सक की देखरेख में उचित समय तक कान में तेल को रखना चाहिए । कान में तेल रोजाना डालना है या नहीं इसकी सलाह चिकित्सक से सलाह पर ही करे ।

कर्ण पूरण( कान में तेल डालने के फायदे)

  • यह एक तरह का अभ्यंग ही है । हमारे शरीर को समय समय पर तेल घी स्नेह की आवश्यकता होती है ।
  • कान में औषधीय तेल आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह पर डालने से वात जनित रोग नहीं होते है ।
  • गर्दन के पीछे का दर्द , सर्वाइकल स्पोंडीलाइटिस(मन्यास्थम्भ )हनुस्थंभ ,
  • बहरापन नहीं होता ,
  • धीमे शब्द सुनने में तखलीफ़ नहीं होती है ।
  • सिरदर्द की समस्या नहीं होती ।
  • कान का दर्द दूर होता है ।

कर्ण पूरण के लिए कौनसा तेल उपयोग करे ।

औषधीय तेल –

  • निर्गुन्डी तेल
  • बिल्व तेल
  • क्षार तेल
  • कर्ण बिंदु तेल
  • सरसों का तेल

कर्ण पूरण से क्या नुकसान है ?

वैसे तो शास्त्रों में कर्ण पूरण का विधान है परन्तु अगर सही तरीके से सही तेल और सही समय पर नहीं क्या गया तो कान में संक्रमण का खतरा हो सकता है ।

इन परिस्थितियों में कर्ण पूरण न करे ।

  • कान में पानी होने पर ।
  • बच्चो को कान में दर्द होने पर कान में किसी भी तरह का तेल न डाले ।
  • कान के परदे में मेल जमने की स्थित में ।
  • कान में पस की समस्या होने पर ।
  • बिना चिकित्सक की सलाह के कान में लगातार तेल डालना नुकसान देह हो सकता है ।
  • कान के परदे में छेद होने की स्थिति में ।


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