वर्षा ऋतु में स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक उपाय

वर्षा ऋतु में होने वाली बीमारियां एवं बचने के उपाय

वर्षा ऋतु में स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक उपाय

वर्षा ऋतु आ चुकी है और सभी को वर्षा ऋतु के अनुसार अपने खानपान आहार-विहार का बदलाव ऋतु के अनुसार कर लेना चाहिए। 

आज हम बात करने वाले हैं निरोगी काया और वर्षा ऋतु में किस तरह से आप स्वस्थ रह सकते हैं।

अधिकतर देखा जाता है कि वर्षा ऋतु में भूख कम लगने लगती है जिसे आयुर्वेद की भाषा में अग्निमांद्य कहते हैं।

हमें हमारे भोजन के अंदर नींबू,प्याज ,हरी मिर्च, काली मिर्च, पीपल ,जीरा ,अदरक ,मेथी ,मूली ,करौंदा पीपला मूल, आमला , पंचकोल आदि औषधियों के चूर्ण को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेने से पाचक रस बनने लगते हैं जो आपके पाचन में अत्यधिक सहायक है।

जैसे कि नींबू के रस में थोड़ा सा त्रिकटु  मिलाकर सेंधा नमक मिला कर  एक अच्छा पाचक शरबत बनाया जा सकता है।

ऐसे शरबतों का प्रयोग करने से आपके पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है और आमाशय से संबंधित रोगों में लाभ मिलता है।

बारिश हो जाने के बाद आम खाना बंद कर देना चाहिए।चूसने वाले आम जो देशी और आपके क्षेत्र में पैदा होते हो खाने चाहिए ।  विशेषकर सभी प्रकार के हाइब्रिड आम की फलों में जल्दी बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं जो आपको पेट से संबंधित समस्याओं के साथ मुंह के छाले चमड़ी के रोग और पेट के कीड़ों जैसे समस्या पैदा कर सकते हैं। 

फलों में मौसमी फल जामुन पक्की हुई होने पर खा सकते हैं।

इस मौसम में छाछ पीना नुकसानदायक होता है इसलिए आयुर्वेद में छाछ पीना वर्षा ऋतु निषेध है।

घी सामान्य मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। 

वात रोगियों को लहसुन और प्याज को घी में पकाकर सेवन करने से वायु विकार दूर होते हैं।

इस मौसम में कई प्रकार के संक्रमण वायु धूल और मिट्टी के साथ पानी में भी होने की संभावना रहती है। दुपहिया वाहन चलाते समय चश्मा या हेलमेट का प्रयोग करें।  मुंह पर स्कार्फ बांधे पुरुष की किसी भी तरह का रुमाल या कपड़ा मुंह पर बांधकर ही बाहर जाएं। क्योंकि इससे आपकी आंखों में होने वाले संक्रमण त्वचा पर होने वाले संक्रमण से बचा जा सके। 

इस मौसम में फास्ट फूड ना खाएं। क्योंकि जब आपको किसी भी तरह की फूड प्वाइजनिंग की शिकायत होगी तो उल्टी दस्त होने की समस्या हो सकती है जो गंभीर अवस्था में भी आपको ले जा सकती है।

रहने वाले स्थान पर ध्यान दें कहीं पानी घर में बारिश का लगातार ना टपकता हो। घर में सीलन आने पर उसकी समुचित व्यवस्था कर सीलन को रोके। क्योंकि सीलन से भी कई प्रकार के बाहरी संक्रमणआपके घर में प्रवेश करते हैं। 

विशेषकर आपके आसपास कहीं नालो खड्डों में पानी है। तो उसका निकास कर दे। निकास कास की समस्या दूर नहीं हो रही है तो उसमें केरोसिन डाल दे जिससे आसपास मच्छरों का लार्वा खत्म हो जाए और मच्छरों की समस्या से आपको निजात मिले। 

इस मौसम में मच्छर कई प्रकार की बीमारियां लेकर आते हैं जिसमें विशेषकर मलेरिया और डेंगू है। 

कपड़े अगर आपकी भी जाते हैं तो आप उसे जितना जल्दी हो सके बदल ले। क्योंकि गीले कपड़े आपको बीमार कर सकते हैं।

रात को 10:00- 10:30 बजे से पहले सो जाएं और सुबह 4:00 बजे के आसपास बिस्तर छोड़ सकते हैं। कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद लेना आवश्यक है।

सुबह सरसों की तेल की मालिश करें। 

वर्षा ऋतु में स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक उपाय -इस मौसम में कफ और वायु दोष की वृद्धि होती है। जिसके कारण खांसी ,जुकाम ,बुखार, शरीर में दर्द आदि होने की संभावना अधिक रहती है।

इस मौसम में दिन में ना सोए। समय पर भोजन करें। 

नाश्ते में सुबह दूध भीगे हुए चने, मूंग का सेवन कर सकते हैं। जो आपके शरीर के लिए गुणकारी और बलशाली है।

इस मौसम में होने वाले सभी फलों का सेवन कर सकते हैं।

वर्षा ऋतु में सत्तू का सेवन महर्षि चरक के अनुसार निषेध है।

नदी नालों में जाकर नहाना तालाबों में जाकर नहाना इत्यादि ना करें। बारिश के मौसम में अधिकतर लोग पिकनिक मनाने आसपास की जलाशयों में जाकर नहाते हैं। ऐसा करना बीमारियों को न्योता देना और किसी अनहोनी को न्योता देने के बराबर है।

हर जगह फिसलन और प्रदूषित और संक्रमित पानी आपको किसी समस्या में डाल सकता है। 

शारीरिक स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें क्योंकि इस विषय पर विशेष ध्यान देने से आप कम बीमार पड़ेंगे।

और पढ़े ..

Translate »
Scroll to Top