सायटिका आयुर्वेदिक उपचार- यदि आप सायटिका रोग से पीड़ित हैं या इसके लक्षणों का सामना कर रहे हैं, तो आप इस स्थिति के बारे में अधिक जानना चाहते होंगे। नीचे दिए गए ब्लॉग आउटलाइन में सायटिका रोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
इस ब्लॉग पोस्ट में आपको सायटिका रोग से संबंधित विस्तृत जानकारी मिलेगी। आप यहाँ पर इस रोग से बचने और इसका उपचार करने के तरीकों के बारे में जान सकते हैं। साथ ही, इस रोग के उपचार में आयुर्वेदिक उपचार और घरेलू नुस्खे जैसे अलग-अलग विकल्प भी दिए गए हैं। लेकिन हमेशा यह ध्यान रखें कि आपको किसी भी नुस्खे या उपाय को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
Table of Contents
सायटिका रोग क्या होता है?सायटिका आयुर्वेदिक उपचार
परिचय: सायटिका रोग एक नर्वीय रोग होता है जो निम्नलिखित लक्षणों के साथ प्रकट होता है। इस रोग में पीठ के निचले हिस्से से लेकर पैर तक दर्द होता है। इसका मुख्य कारण स्पाइनल कॉर्ड या सायटिक नर्व में किसी भी प्रकार का दबाव होने के कारण होता हैं ।
इसके कारण क्या होते हैं?सायटिका आयुर्वेदिक उपचार
सायटिका रोग के कारण निम्नलिखित होते हैं:
- स्पाइनल कॉर्ड में किसी भी घाव या चोट से दबाव होना।
- नसों में संकुचन या चोट से दबाव होना।
- पिछली गर्दन के घाव से सायटिका रोग होना।
- साइटिका रोग की अनुवांशिक रूप में मिलना ।
- एक ही स्थिति में अधिक देर तक बैठना।
- पैर पर पैर चढ़ा कर लम्बे समय तक बैठे रहना
- अधिक वजन उठाना
- अधिक व्यवाय करना
- उचाई से कूदने के बाद मेरुदंड में कशेरुकाओ की स्थिति में परिवर्तन ।
सायटिका रोग के लक्षण:सायटिका आयुर्वेदिक उपचार
सायटिका रोग के लक्षण निम्नलिखित होते हैं:
- पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर पैर तक दर्द होना।
- पैर में शारीरिक थकान और कमजोरी होना।
- पैर के नसों में तनाव और अधिक दर्द होना।
- पैर में झनझनाहट, चिकनाहट या सूजन होना।
- रात को नींद न आना या अनिद्रा होना।
- लकवा आने की संभावना होना।
इन लक्षणों का क्या मतलब होता है?सायटिका आयुर्वेदिक उपचार
सायटिका रोग के लक्षणों का मतलब होता है कि व्यक्ति के पैर में संशोधित नस या सायटिक नर की समस्या होती है। इसके कारण पैर में तनाव और दर्द होता है, जो अक्सर पीठ से नीचे शुरू होता है। अधिक दबाव के कारण, पैर के नसों में संकुचन या संशोधन होता है जो पैर में झनझनाहट, चिकनाहट और सूजन का कारण बनता है। रात में नींद न आना और अनिद्रा की संभावना होना भी सायटिका रोग के लक्षण होते हैं। अधिकतम मामलों में, लकवा भी संभव हो सकता है जो व्यक्ति के गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है।
किन लोगों में इसकी संभावना ज्यादा होती है?सायटिका आयुर्वेदिक उपचार
सायटिका रोग की संभावना कुछ लोगों में अधिक होती है। निम्नलिखित लोगों में सायटिका रोग के विकार ज्यादा होते हैं:
उम्र: अधिकतर संशोधित नस विकार के मामले उम्रदराज लोगों में देखे जाते हैं।
बैठने की आदत: लंबे समय तक बैठे रहने की आदत वाले लोगों में सायटिका का खतरा अधिक होता है।
बढ़ती उम्र: बढ़ती उम्र के साथ संशोधित नस की समस्या की संभावना बढ़ जाती है।
ओबेसिटी: मोटापा सायटिका रोग के लिए एक अन्य कारण हो सकता है।
गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान बढ़ती नसों के दबाव के कारण सायटिका रोग का खतरा बढ़ जाता है।
ट्रामा: घात, एक्सीडेंट या ट्रामा के कारण नसों में संशोधन होने से सायटिका रोग की संभावना बढ़ती है।
इसलिए, इन लोगों को अपनी जीवनशैली पर ध्यान देना चाहिए और सायटिका रोग से बचने के लिए अपने वैद्य से परामर्श लेना चाहिए।
सायटिका आयुर्वेदिक उपचार
सायटिका रोग के लिए आयुर्वेदिक उपचार कुछ निम्नलिखित हैं:
शिलाजीत: शिलाजीत शक्तिशाली औषधि है जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती है।
गुग्गुल: गुग्गुल अनेक रोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें सायटिका भी शामिल है।
योगराज गुग्गुल – योगराज गुग्गुल एक आयुर्वेदिक दवा है जो भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्धति से संबंधित है। इस दवा का उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है, जिसमें जोड़ों के दर्द, स्नायुशूल, मांसपेशियों के दर्द, शीघ्रपतन, नपुंसकता, गर्भाशय रोग, पीलिया आदि शामिल हैं।
इस दवा का नाम संस्कृत में “योग” और “राज” के शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “राजा के लिए उपयुक्त योग”। इस दवा में कुछ मुख्य घटक हैं, जैसे कि गुग्गुल, शुद्ध गंधक, अमलकी, बिभितक, हरीतकी, लोह भस्म, अभ्रक भस्म आदि।
योगराज गुग्गुल का सेवन करने से पहले, आपको एक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए और उनके निर्देशों के अनुसार इसका सेवन करना चाहिए। यह दवा बिना डॉक्टर के परामर्श के नहीं लेना चाहिए।
सिंहनाद गुग्गल – सिंहनाद गुग्गुल भी एक प्रकार की आयुर्वेदिक दवा है जो सायटिका के इलाज में उपयोगी होता है।
सिंहनाद गुग्गुल में विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के समूह होते हैं । इस दवा में विशेष रूप से गुग्गुल, एरण्डमूल, रस्ना, निर्गुण्डी, गोक्षुरादि मुख्य घटक होते हैं।
सिंहनाद गुग्गुल का सेवन सायटिका के लिए उपयोगी होता है क्योंकि इसमें मौजूद घटकों का संयोग शरीर के दर्द को कम करने में मदद करता है और शरीर में इन्फ्लेमेशन को भी कम करता है।
एकांगवीर रस- एकांगवीर रस भी एक प्रकार की आयुर्वेदिक दवा है जो सायटिका के इलाज में उपयोगी होता है। एकांगवीर रस में विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के समूह होते हैं, जो इसकी गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। इस दवा में विशेष गंधक शुद्ध, रस -सिंदूर, कान्त लौह भस्म, आर्द्रका रस, वंग भस्म, नाग भस्म, ताम्र भस्म, अभ्रक भस्म, तीक्ष्ण लौह भस्म, नगर (शुंठी ), मरीचा त्रिफला क्वाथ पिप्पली,व्योष द्रव (त्रिकटु ), क्वाथ, शुंठी निर्गुण्डी क्वाथ चित्रका क्वाथ, भृंगराज स्वरस, शिग्रु स्वरस,धात्री द्रव (आमलकी स्वरस, विसमष्टि शुद्ध क्वाथ र्क -क्वाथ धत्तुरा घटक होते है ।
त्रयोदशांग गुग्गल – त्रयोदाशांग गुग्गुल भी एक आयुर्वेदिक दवा है जो सायटिका के इलाज में उपयोगी होता है।
त्रयोदाशांग गुग्गुल में विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के समूह होते हैं, जो इसकी गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। इस दवा में जीरक, जटामांसी, अश्वगंधा, गुग्गुल, शुद्ध गंधक,गाय का घी आदि मुख्य घटक होते हैं।
त्रयोदाशांग गुग्गुल का सेवन सायटिका के लिए उपयोगी होता है क्योंकि इसमें मौजूद घटकों का संयोग संभवतः संश्लेषित शारीरिक दोषों को ठीक करता है और शरीर के कई अंगों में रक्त संचार को बढ़ाता है। इस दवा को सेवन करने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना सुरक्षित होगा।
समीर पन्नग रस -एक प्रकार की आयुर्वेदिक दवा है जो सायटिका के इलाज में उपयोगी होता है।जो कई जड़ी-बूटियों से बनाई जाती है। इस दवा के मुख्य घटक होते हैं पारद, गंधक, सोमलता, मन:शिला, हरताल आदि। यह दवा विभिन्न रोगों के इलाज में उपयोग की जाती है।
इस दवा के गुणों के अनुसार, यह दवा शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है। यह दवा उच्च रक्तचाप, श्वसन संबंधी समस्याएं, पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं, जोड़ों के दर्द, माइग्रेन, साइनस, स्तंभन दोष, वीर्यवृद्धि आदि समस्याओ में उपयोग की जाती है।
मकरध्वज रस -एक आयुर्वेदिक दवा है जो कई जड़ी-बूटियों से बनाई जाती है। इस दवा के मुख्य घटक होते हैं पूर्ण चंद्रोदय मकरध्वज, स्वर्ण भस्म, कर्पूर, जायफल, मरीच, लवंग, लता कस्तूरी के बीज आदि।
यह दवा विभिन्न रोगों के इलाज में उपयोग की जाती है। मकरध्वज रस के गुणों के अनुसार, यह दवा विभिन्न प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है। यह दवा उच्च रक्तचाप, श्वसन संबंधी समस्याएं, पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं, जोड़ों के दर्द, माइग्रेन, साइनस, स्तंभन दोष, वीर्यवृद्धि आदि समस्याओं के लिए उपयोग की जाती है।
हालांकि, मकरध्वज रस का सेवन बिना डॉक्टर के सलाह के नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें पूर्ण चंद्रोदय मकरध्वज, स्वर्ण भस्म, कर्पूर जैसी शक्तिशाली घटक होते हैं जो अधिक मात्रा में अवशोषित होने से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
दशमूल तेल: दशमूल तेल सायटिका के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
जिंजीबर: जिंजीबर सायटिका के दर्द को कम करने में मदद करता है।
ब्रह्मी: ब्रह्मी सायटिका के लक्षणों को कम करने में मदद करता है और नर्वस सिस्टम को सुधारता है।
घरेलू उपाय भी सायटिका रोग
कुछ घरेलू उपाय भी सायटिका रोग को ठीक करने में मदद कर सकते हैं, जैसे कि:
- गर्म पानी से स्नान करना।
- सूजन कम करने के लिए गर्म तेल से मालिश करना।
- योग और ध्यान करना।
- पौष्टिक आहार लेना और तरल पदार्थों से बचना।
- अधिक आराम लेना और अधिक स्ट्रेस न लेना।
सायटिका रोग के लिए चिकित्सा उपचार
सायटिका रोग के लिए चिकित्सा उपचार कई होते हैं और ये निर्भर करते हैं कि समस्या कितनी गंभीर है। कुछ साधारण उपचार विकल्प निम्नलिखित हैं:
दर्द नियंत्रण के लिए दवाएं – दर्द कम करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर दर्दनाशक दवाओं और एंटीइन्फ्लेमेट्री दवाओं की सलाह देते हैं।
फिजियोथेरेपी – फिजियोथेरेपी जैसे कि व्यायाम, तनाव मुक्ति व्यायाम और योग आमतौर पर सायटिका रोग के इलाज में उपयोग किए जाते हैं। फिजियोथेरेपी वैकल्पिक चिकित्सा उपचार के रूप में भी जानी जाती है।
इंजेक्शन थेरेपी – डॉक्टर सायटिका रोग के इलाज के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड या एनस्टारॉइड इंजेक्शन भी प्रदान कर सकते हैं।
सर्जरी – सायटिका रोग के गंभीर मामलों में, जहां अन्य उपचार विकल्प असफल हो जाते हैं, सर्जरी एक विकल्प हो सकता है।इन उपायों के लिए आप किसी न्युरोलॉजिस्ट या एक्सपर्ट ऑर्थोपेडिक सर्जन से संपर्क करें ।
सायटिका रोग के लिए कुछ सहायक उपाय
सायटिका रोग के लिए चिकित्सा उपचार के साथ-साथ कुछ सहायक उपाय भी होते हैं, जो इस समस्या से राहत प्रदान करते हैं। ये उपाय हैं:
शारीरिक अभ्यास: सायटिका रोग के मरीजों के लिए शारीरिक अभ्यास बहुत महत्वपूर्ण होता है। योग और व्यायाम से सायटिका रोग के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इससे पीठ और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाया जा सकता है।
ठंडा और गर्म कंप्रेस: ठंडा और गर्म कंप्रेस से सायटिका रोग के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इससे दर्द और सूजन में आराम मिलता है।
मसाज: सायटिका रोग के मरीजों को मसाज करना फायदेमंद होता है। इससे दर्द कम होता है और मांसपेशियों को राहत मिलती है।
सही बैठना: सायटिका रोग के मरीजों को सही ढंग से बैठना बहुत महत्वपूर्ण होता है। उन्हें लंबे समय तक एक ही स्थिति में नहीं बैठना चाहिए। यदि वे बैठे रहते हैं तो वे बीच-बीच में थोड़ा-सा चलते रहें
सायटिका रोग से बचने के लिए उपाय
सायटिका रोग से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- अच्छी एकसुत्र नींद लें
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- सही पोस्चर बनाए रखें
- ऊँचाई में सुधार करें, यदि आवश्यक हो तो स्कीमर का उपयोग करें
- सीधे रूप से बैठें और खड़े हों
- वजन को नियंत्रित रखें
- धूम्रपान या अत्यधिक शराब पीने से बचें
- स्ट्रेस कम करने के लिए ध्यान या मेडिटेशन करें
- अधिक वजन उठाने से बचें
- भुजंगासन का अभ्यास
अगर आप सायटिका रोग से पीड़ित हैं तो आपको इसे ठीक करने के लिए उपचार और सहायक उपायों के साथ सावधानियों का पालन करना चाहिए। आपको एक प्रशिक्षित चिकित्सक या फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करना चाहिए जो आपको सही उपचार और व्यायाम योजना सलाह दे सकते हैं। आपको अपने खान-पान और जीवन शैली में भी संशोधन करना होगा। आपको सक्रिय रहना और उपयुक्त व्यायाम करना चाहिए, साथ ही संयमित आहार लेना चाहिए। समय-समय पर अपने डॉक्टर के परामर्श के बिना कोई भी दवाई लेने से बचें।
अंत में, सायटिका रोग को संभवतः सफलतापूर्वक ठीक किया जा सकता है लेकिन इसमें समय लगता है। अगर आप संभवतः सायटिका रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
और पढ़े …..