आयुर्वेद में आम से सीधा मतलब यह है की आधा पका हुआ। वात से यह मतलब है वात दोष विकृत हुआ बाद शरीर में कुपित होकर वात दोष को बढ़ाता है। आमवात को गठिया या रूमेटाइड अर्थराइटिस भी कहा जाता है। जब किसी व्यक्ति के पेट की अग्नि कम या मंद होती है। व्यक्ति द्वारा नियमित रूप से व्यायाम नहीं किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या कैसी होनी चाहिए?
विरुद्ध भोजन का सेवन अर्थात खट्टे के साथ दूध का सेवन मछली के साथ दूध का सेवन, यह विरुद्ध भोजन के उदाहरण है। जब व्यक्ति की पेट की भूख कम होती है और स्वादिष्ट में अच्छे लगने वाले भोज्य पदार्थों को अनियमित रूप से सेवन करता है। तो वह खाया हुआ भोजन पूरी तरह से पचता नहीं है। उसका आधा ही पाचन हो पाता है। और यही आव के रूप में संपूर्ण शरीर में घूमने लगता है। इसी कोआयुर्वेद में “आम” कहा गया है।
यह आम वायु के साथ में पूरे शरीर में भ्रमण करता है। और शरीर में दर्द कथा सूजन को पैदा करता है। यह शरीर की समस्त संधियों में विचरण करता है। जिससे हड्डियों में टेढ़ापन जोड़ों में दर्द सूजन आदि शिकायतें पैदा होती है। बारिश के मौसम में बादल छाने पर वृद्ध लोगों की यह शिकायत हमेशा रहती है कि बादल होने से हमें दर्द हो गया है।
पेट की अग्नि कम होने के कारण भोजन का पूरी तरह से बचाव नहीं होता और आम कुपित होकर शरीर में दर्द और सूजन पैदा करती है। जिन लोगों की अग्नि सभी मौसमों में सामान्य रहती है तो उन्हें आमवात होने की संभावना नहीं है।
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मेडिकल साइंस में रिमिटेड अर्थराइटिस
के नाम से जाना जाता है। इसे ऑटोइम्यून डिजीज भी कहा जाता है। जिसमें जोड़ों का दर्द और उसके आसपास के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है। हड्डियों में टेढ़ापन तथा जोड़ों में दर्द के साथ सूजन की शिकायत रोगी द्वारा की जाती है। इसी रोग को आयुर्वेद में आमवात कहा गया है। खराब पाचन तंत्र के कारण शरीर में विषैले तत्व हमेशा बने रहते हैं परिणाम स्वरूप यह आम के रूप में जमा होकर व्याधि को उत्पन्न करते हैं।
आमवात की समस्या 40 की उम्र के बाद ही लगभग होती है। यह महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है । जीवनशैली तथा खानपान से जुड़ी यह बीमारी परहेज करने पर जल्दी ठीक हो सकती है
आमवात के रोगी क्या खाए? What do rheumatism patients eat?
- प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन कम करें।
- यूरिक एसिड बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों को बंद करो।
- पुराने चावल गेहूं जौ का सेवन करें।
- मूंग और मसूर की दाल खाये।
- हरी पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग करें। तरोई कद्दू टिंडा परवल पत्ता गोभी लौकी तरोई खीरा करेला की सब्जी खाएं।
- फलों का सेवन करें। सेब पपीता
- दूध का सेवन बिना मलाई के करे।
- गोमूत्र का प्रयोग करें।
क्या ना खाए आमवात में?What should not eat in the aamvata?
- चना मटर काबुली चने की दाल का सेवन ना करें।
- आलू का प्रयोग ना करें।
- भिंडी अरबी का सेवन ना करें।
- जमीन में पकने वाली सभी सब्जियों को बंद करें।
- नए धान का प्रयोग ना करें।
- मैदे का प्रयोग ना करें।
- दही छाछ राबड़ी का प्रयोग ना करें।
- मछली का प्रयोग ना करें।
- तला हुआ और देर से पचने वाला भोजन ना करें।
- अचार का सेवन ना करें।
- शराब फास्ट फूड का प्रयोग ना करें।
- मांसाहार का प्रयोग ना करें।
- ग्वारफली नही खाये।
- पनीर नही खाये ।
- मिठाई का प्रयोग न करे।
- मूंगफली नही खाये।
आमवात में लाभ के लिए जीवन शैली कैसी होनी चाहिए?What should be the lifestyle to benefit in the AMVATA?
- सुबह उठकर व्यायाम तथा योग नियमित रूप से करना चाहिए।
- सुबह उठकर खाली पेट जल का सेवन करना चाहिए।
- अत्यधिक भोजन करने से बचें।
- फास्ट फूड तथा तले पदार्थों का सेवन ना करें।
- सूर्योदय से पहले उठे।
- सुबह का नाश्ता हल्का हो दोपहर का भोजन पेट पर रात का भोजन कल का होना चाहिए।
- सप्ताह में 1 दिन उपवास करें।
- भोजन के बीच में पानी का सेवन ना करे।
- पूरी नींद ले ले।
- दिन में सोने से बचें।
- भूख से थोड़ा कम खाए। आमाशय में पानी तथा सलाद के लिए जगह छोड़ें।
- भोजन करने के बाद में घूमने निकले।
- कपालभाति प्राणायाम भस्त्रिका भ्रमरी अलोम विलोम रोजाना करें।
- उत्तानपादासन रोज करें।
आमवात की आयुर्वेद चिकित्सा Ayurveda medicine
आमवातारि रस 250mg अग्निकुमार रस 250mg समीरपन्नग रास 50mg त्रयोदशांग गुग्गुल 250mg टैब आर कंपाउंड 2 -2 गोली सुबह शाम खाने के बाद एरंड स्नेह 2 चम्मच रात को सोते समय लेवे। अशवगंधा चूर्ण 3 ग्राम सुबह शाम खाने के बाद अजमोददी चूर्ण 3 ग्राम सुबह शाम खाने के बाद त्रिकटु चूर्ण 500mg सुबह शाम खाने के बाद महारास्नादि क्वाथ 10ml दशमूलारिष्ट 10ml अश्वगंधारिष्ट 10 ml हार सृंगार के पत्ते का काढ़ा बना कर सुबह शाम खाली पेट पिये। चेतावनी :-समस्त आयुर्वेदिक औषधिया चिकित्सक की देखरेख में सेवन करें।