अभयादि मोदक abhayadi modak tablet uses की यह संस्करण हरीतकी, आमलकी, त्रिकतु, विडंग और मुस्ता के संयोजन से तैयार किया जाता है। यह औषधि विशेष रूप से पाचन तंत्र को सुधारने और शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए उपयोगी मानी जाती है।
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घटक और उनके गुण:
- हरीतकी (Terminalia chebula):
- गुणधर्म: रेचक (laxative), पाचन को सुधारने वाली, और आंतों की सफाई में सहायक।
- लाभ: कब्ज, गैस, और अपच की समस्याओं में राहत प्रदान करता है। यह पेट को साफ रखता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
- आमलकी (Emblica officinalis):
- गुणधर्म: वात, पित्त, और कफ को संतुलित करने वाली, इम्यूनिटी बढ़ाने वाली।
- लाभ: पाचन तंत्र को संतुलित करता है और पाचन प्रक्रिया को सुगम बनाता है। यह विटामिन सी से भरपूर होता है, जो शरीर को ताकत देता है।
- त्रिकटू (Trikatu) [सौंठ, पिप्पली, काली मिर्च]:
- गुणधर्म: अग्नि (digestive fire) को तेज करने वाली, कफ को कम करने वाली।
- लाभ: पाचन क्रिया को सुधारता है, भूख को बढ़ाता है, और गैस्ट्रिक समस्याओं से राहत दिलाता है। यह औषधि शरीर में मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है और पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करती है।
- विडंग (Embelia ribes):
- गुणधर्म: कृमि नाशक (anthelmintic), पाचन सुधारक।
- लाभ: यह पेट के कीड़ों को नष्ट करता है और पाचन को सुधारता है। यह औषधि पेट की सफाई और भूख बढ़ाने में भी सहायक होती है।
- मुस्ता (Cyperus rotundus):
- गुणधर्म: पाचन शक्ति बढ़ाने वाली, शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने वाली।
- लाभ: यह औषधि अपच, गैस, और पेट की अन्य समस्याओं में राहत दिलाती है। यह पाचन तंत्र को साफ रखती है और भूख को बढ़ाती है।
उपयोग:
- कब्ज और गैस: यह औषधि कब्ज और गैस की समस्या को दूर करने में सहायक है।
- भूख बढ़ाना: यह भूख को बढ़ाने और पाचन को सुधारने में सहायक है।
- कृमि नाशक: इसमें विडंग और अन्य घटकों के कारण कृमि नाशक गुण होते हैं।
खुराक:
- वयस्कों के लिए: 1-2 मोदक दिन में एक बार भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ लें।
- बच्चों के लिए: 1/2 से 1 मोदक दिन में एक बार।
सावधानियाँ:
- चिकित्सकीय परामर्श के बिना इसका सेवन न करें।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ इसका सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करें।
- बच्चों को यह दवा चिकित्सक की सलाह पर ही दें।
संभावित दुष्प्रभाव:
अधिक मात्रा में सेवन से दस्त, पेट में दर्द, या गैस्ट्रिक समस्याएँ हो सकती हैं। अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में एलर्जी भी हो सकती है।
संदर्भ ग्रंथ:
- चरक संहिता
- अष्टांग हृदयम
- भेषज्य रत्नावली
Disclaimer (अस्वीकरण):
यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए दी गई है। किसी भी औषधि का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। इस जानकारी का उपयोग स्व-उपचार के लिए न करें। लेखक या प्रकाशक किसी भी हानि के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।