अष्टमूर्ति रसायन के फायदे-आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार बनाई गई एक आयुर्वेदिक रसऔषधि है । अष्टमूर्ति रसायन का उपयोग आयुर्वेद विशेषज्ञ द्वारा विभिन्न रोगों में किया जाता है जिसमें प्रमुख है । उपदंश रोग, फिरंग रोग, त्वचा रोग, ज्वर इत्यादि ।
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अष्टमूर्ति रसायन के घटक द्रव्य(औ .गु . ध .शा के अनुसार)
- शुद्ध पारद
- शुद्ध गंधक
- सिंग रफ
- मैनसिल
- सोमल
- हरताल
- रस कपूर
- मुर्दासंग
- सुहागा
- स्वर्ण वर्क
- चांदी वर्क
सेवन मात्रा
वयस्क में- 50 मिलीग्राम से 100 मिलीग्राम दिन में दो बार चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें ।
अनुपान
अदरक के रस के साथ, शहद के साथ चिकित्सक के निर्देशानुसार ।
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अष्टमूर्ति रसायन के फायदे एवं उपयोग-
- अष्टमूर्ति रसायन का प्रयोग पुराना उपदंश रोग में करवाया जाता है ।
- सिफलिस रोग के कारण उत्पन्न विभिन्न समस्याओं के लिए उपद्रव के लिए इसका प्रयोग करवाया जाता है । उपदंश रोग की अति उत्तम औषधि है ।
- पुराना से पुराना फिरंग रोग भी इस औषधि से ठीक किया जा सकता है ।
- सभी प्रकार के रक्त विकारों में अत्यंत ही गुणकारी औषधि है ।
- दांतों के रोग जैसे दांतों में दर्द, दातों में सूजन, मुंह से लार गिरना, मसूड़े में सूजन में फायदेमंद रसायन औषधि है ।
- ट्यूबरक्लोसिस के रोगियों के लिए भी यह फायदेमंद औषधि है ।
- मस्तिष्क रोग, उन्माद अपस्मार रोग में भी इसका प्रयोग विद्वानआयुर्वेद विशेषज्ञ द्वारा करवाया जाता है ।
- तंत्रिका तंत्र से जुड़े हुए रोगों में भी यह फायदा करता है ।
- बार-बार आने वाला बुखार( रिप्लेसिंग फीवर) , पूरे शरीर में दाह होता है । शरीर का कमजो र और दुर्बल होना शरीर का रंग काला हो जाना तथा शरीर पर विकृत रंग के धब्बे और नाखून की स्थिति भी विकृत हो जाती है । शरीर में पूरी जगह पर फुंसियां हो जाना । ऐसी अवस्था में भी अति उत्तम रसायन औषधि है ।
- प्रकार के बुखार एवं शारीरिक दुर्बलता के साथ में , खून की उल्टी जैसे लक्षणों में औषधी योग में इसका प्रयोग करवाया जाता है ।
- कलायखंज नाम की रोग जिसमें होगी सीधा नहीं चल सकता । टेढ़ी-मेढ़ी पैर की चाल हो जाती है । हड्डियों कीजोड़ों में शिथिलता आ जाती है । पैरों की ताकत कम हो जाती है । रोगी को चलने में दिक्कत होती है और पैर कांपने लगते हैं । इस रोग में अत्यंत ही गुणकारी औषधि अष्टमूर्ति रसायन है ।
- अष्टमूर्ति रसायन ह्रदय, फेफड़ो और किडनी के लिए फायदेमंद होता है ।
- शारीरिक शक्ति को बढ़ाने वाला, मांस को बढ़ाने वाला होता है ।
- विभिन्न प्रकार के कीटाणु नाशक गुण होते हैं ।
- अस्थि मज्जा की दूषित होने पर इसका प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है ।
- रक्त संबंधी रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है ।
- बार-बार आक्षेप आने वाली रोगों में जैसे अपस्मार रोग में फायदेमंद होता है ।
कहाँ से ख़रीदे ?
आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध !इस औषधि का प्रयोग अकेले नहीं कर सकते इसलिए विशेषग्य की सलाह आवश्यक है ।
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सावधानी-
आयुर्वेद चिकित्सक विशेषज्ञ की देखरेख में औषधि का प्रयोग करें ।
बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में सेवन ना करें ।
सामान्य तापमान पर भंडारण करें ।
चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है ।
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