च्यवनप्राश : संपूर्ण जानकारी, 32 जड़ी-बूटियाँ और निर्माण विधि

च्यवनप्राश

परिचय

च्यवनप्राश आयुर्वेद का एक प्राचीन रसायन है, जिसे संपूर्ण स्वास्थ्य वर्धक टॉनिक माना जाता है। यह न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है, बल्कि ऊर्जा, मानसिक शक्ति और संपूर्ण शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। इस लेख में हम च्यवनप्राश के 32 प्रमुख घटकों, उनके लाभों और घर पर इसे बनाने की विधि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।


च्यवनप्राश के 32 प्रमुख घटक

1. मूल घटक (बेस)

  • आंवला (Emblica officinalis) – 2 किग्रा
  • गाय का घी (Cow Ghee) – 100 ग्राम
  • तिल का तेल (Sesame Oil) – 100 ग्राम
  • मिश्री (Rock Sugar) – 2 किग्रा (शहद मिलाने पर मिश्री कम करें)
  • शहद (Honey) – 200 ग्राम (इच्छानुसार)
  • केसर (Saffron) – इच्छानुसार

2. औषधीय घटक (जड़ी-बूटियाँ और वनस्पतियाँ)

दशमूल (10 जड़ी-बूटियाँ)

  • बिल्व, अग्निमंथ, श्योनाक, पाटला, गंभीरी, पस्थपर्णी, शालपर्णी, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, गोक्षुर

अन्य वनस्पतियाँ

  • काकड़ासिंगी, मुनक्का दाख, हरड़, खरैटी, जीवंती, कचूर, नागरमोथा, पुष्करमूल, पुनर्नवा, कमलगट्टा, अगर, तगर, लाल चंदन, सफेद चंदन, अडूसा, जटामांसी, भुई आंवला, मुलेठी

अष्टवर्ग (8 जड़ी-बूटियाँ)

  • जीवक, ऋशबक, काकोली, क्षीरककोली, मैदा, महामैदा, ऋद्धि, सिद्धि (यदि सभी उपलब्ध न हों, तो इनमें से कम से कम 5 का उपयोग करें)

अन्य बल्य व रसायन द्रव्य

  • मासपर्णी, मुग्धपर्णी, गिलोय, शतावरी, अश्वगंधा, वराहिकंद, विदारीकंद, काकनाशा

3. प्रक्षेप द्रव्य (स्वाद और प्रभाव बढ़ाने वाले तत्व)

(सभी को सूक्ष्म चूर्ण कर मिलाएं)

  • पिप्पली – 50 ग्राम
  • वंशलोचन – 50 ग्राम
  • जायफल – 10 ग्राम
  • जावित्री – 10 ग्राम
  • इलाइची – 20 ग्राम
  • लौंग – 10 ग्राम
  • दालचीनी – 10 ग्राम
  • तेजपत्ता – 10 ग्राम
  • नागकेशर – 10 ग्राम
  • काली मिर्च – 10 ग्राम

च्यवनप्राश बनाने की विधि

1. आंवला प्रसंस्करण

  • आंवलों को साफ करके पानी में उबालें, जब तक वे नरम न हो जाएं।
  • ठंडा होने के बाद बीज निकालकर पेस्ट बना लें।

2. औषधीय काढ़ा बनाना

  • सभी जड़ी-बूटियों को 4-5 लीटर पानी में डालकर धीमी आंच पर उबालें।
  • जब पानी 1 लीटर रह जाए, तो इसे छान लें।

3. आंवला पेस्ट और काढ़े को पकाना

  • लोहे की कढ़ाई में घी गरम करें और उसमें आंवला पेस्ट डालें।
  • धीमी आंच पर भूनें, फिर इसमें तैयार औषधीय काढ़ा डालें और धीमी आंच पर पकाएं।
  • मिश्रण गाढ़ा होने लगे, तो मिश्री डालें और लगातार चलाते रहें।

4. शीतल होने के बाद शहद और प्रक्षेप द्रव्य मिलाएं

  • मिश्रण ठंडा होने पर शहद और केसर डालें।
  • जायफल, जावित्री, इलायची, लौंग आदि का पाउडर डालकर अच्छे से मिलाएं।

सेवन विधि और स्वास्थ्य लाभ

सेवन विधि:

  • 1-2 चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ लें।
  • बच्चों के लिए आधी मात्रा पर्याप्त है।
  • इसे पूरे वर्ष सेवन किया जा सकता है।

स्वास्थ्य लाभ:

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना: च्यवनप्राश में मौजूद आंवला और अन्य जड़ी-बूटियाँ इम्यूनिटी बूस्टर हैं।
  • ऊर्जा और शारीरिक शक्ति: गाय का घी, अश्वगंधा और शतावरी शरीर को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य: जायफल, जटामांसी और ब्राह्मी मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाते हैं।
  • पाचन तंत्र का सुधार: पिप्पली, मुलेठी और नागरमोथा पाचन में सहायक हैं।
  • त्वचा और हड्डियों का पोषण: शतावरी, गिलोय और केसर त्वचा को निखारते हैं और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।

निष्कर्ष

शुद्ध, पारंपरिक और वैज्ञानिक रूप से सिद्ध च्यवनप्राश का सेवन शरीर को संपूर्ण पोषण प्रदान करता है। यह न केवल इम्यूनिटी को बढ़ाता है बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए एक श्रेष्ठ आयुर्वेदिक रसायन भी है। इसे स्वच्छ कांच के जार में संग्रह करें और 6-12 महीने तक सुरक्षित रखें।

“स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद अपनाएं, शुद्ध च्यवनप्राश स्वयं बनाएं!”

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