Diabetic foot ulcer का आयुर्वेदिक इलाज: जलौका चिकित्सा

Diabetic foot ulcer का आयुर्वेदिक इलाज: जलौका चिकित्सा

परिचय

Diabetic foot ulcer का आयुर्वेदिक इलाज: जलौका चिकित्सा -डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो विश्वभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। इसके दीर्घकालिक प्रभावों में से एक है पैर में अल्सर का होना, जो कि डायबिटीज से प्रभावित व्यक्तियों में अक्सर देखा जाता है। आयुर्वेद में इस प्रकार के अल्सर के इलाज के लिए जलौका चिकित्सा (लीच थेरेपी) का प्रयोग एक उत्कृष्ट विधि मानी जाती है।

डायबिटीज और पैर में अल्सर

डायबिटीज में उच्च रक्त शर्करा का स्तर नसों को क्षतिग्रस्त कर सकता है और रक्त संचार में बाधा डाल सकता है, जिससे पैरों में अल्सर Diabetic foot ulcer का रूप लेने लगते हैं। ये अल्सर अत्यंत पीड़ादायक होते हैं और इनका इलाज न किया जाए तो ये और भी गंभीर रूप ले सकते हैं।

कारण

  • नसों का क्षरण: उच्च ग्लूकोज स्तर से नसों में सूजन आ सकती है।
  • खराब रक्त संचार: डायबिटीज रक्त वाहिकाओं को सख्त बना देता है, जिससे पैरों में रक्त प्रवाह में कमी आ जाती है।
  • इम्यून सिस्टम में कमी: डायबिटीज से इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

लक्षण

  • पैरों में दर्द और सूजन
  • खुले घाव या अल्सर
  • घावों का धीमा ठीक होना

जलौका चिकित्सा : आयुर्वेदिक उपचार

जलौका चिकित्सा या लीच थेरेपी एक पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा है जो कि विशेष रूप से रक्त संबंधी समस्याओं के लिए उपयोगी है। इस थेरेपी का उपयोग करके डायबिटीज से उत्पन्न पैर के अल्सर का इलाज संभव है।

उपचार की प्रक्रिया

  1. पूर्व-उपचार तैयारी: उपचार से पहले पैर को अच्छी तरह से साफ किया जाता है।
  2. लीच थेरेपी: चिकित्सक द्वारा विशेष रूप से प्रशिक्षित मेडिकल लीच को अल्सर के क्षेत्र पर रखा जाता है।
  3. अनुसरण उपचार: लीच के रक्त चूसने के बाद, उस क्षेत्र को पुनः साफ किया जाता है और आवश्यक औषधियाँ लगाई जाती हैं।

जलौका चिकित्सा के लाभ

  • सूजन में कमी: लीच द्वारा स्रावित एंजाइम्स सूजन को कम करते हैं।
  • संक्रमण की रोकथाम: लीच थेरेपी से संक्रमण के खिलाफ एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच बनता है।
  • रक्त प्रवाह में सुधार: यह थेरेपी पैरों में रक्त प्रवाह को बढ़ावा देती है, जिससे घाव जल्दी भरते हैं।

जलौका चिकित्सा सावधानियां और साइड इफेक्ट्स

जलोका चिकित्सा के अपने संभावित साइड इफेक्ट्स हैं जैसे कि एलर्जिक रिएक्शन, अत्यधिक रक्तस्राव आदि। इसलिए इस उपचार को केवल अनुभवी चिकित्सक के निर्देशन में ही कराना चाहिए।

निष्कर्ष

जलोका चिकित्सा डायबिटीज से उत्पन्न पैर के तलवे में अल्सर के लिए एक प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार है। यह न केवल उपचार प्रदान करता है बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ भी देता है। यदि आप इस तरह के उपचार की सोच रहे हैं, तो एक प्रोफेशनल आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें।

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