आधुनिक जीवन शैली तथा नई विचारधारा ने कई नई उपलब्धियां हासिल की है और हर दिन नया कुछ होता जा रहा है। लेकिन आधुनिकता ने हमें कुछ ऐसे खानपान भी दे दिए हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। आज के समय में हर गली चौराहों पर आपको फास्ट फूड की दुकाने सजी हुई मिलेंगी।
आज की जीवनशैली और दौड़ भाग वाले जीवन में हमने अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रखा है। मसालों के चटकारे या स्वाद के लिए तथा आसानी से उपलब्ध होने के कारण हर व्यक्ति फास्ट फूड की चपेट में है। क्या यह स्वास्थ्य के लिए हितकर है इस बात के लिए प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है।
आयुर्वेद के अनुसार यह माना गया है कि आहार सात्विक एवं पोषण देने वाला होना चाहिए। फास्ट फूड यानी कि जंक फूड में पोषक तत्व को आप भूल ही जाइए। साथ ही कई प्रकार की बीमारियां आपको इस जंग फूड के खाने के बाद में होने वाली है। भारत में सबसे ज्यादा मधुमेह के तथा हृदय रोगों के लिए सबसे बड़ा देश हो चुका है। इसका कारण हमें आयुर्वेद के सिद्धांतों को छोड़कर अपने हिसाब से रहन-सहन खान-पान को अपना लिया है।
आजकल के विज्ञापनों में भी जंक फूड फास्ट फूड को इस तरह से पेश किया जाता है कि नई पीढ़ी इसे आसानी से अपना लेती है। नामी गिरामी लोकप्रिय कलाकारों के माध्यम से प्रचार-प्रसार करवा कर कई कंपनियां अपने उत्पाद धड़ल्ले से बेच रही है। फास्ट फूड भोज्य पदार्थों के अंदर गरिष्ठ तला भुना डिब्बा बंद अधिक वसा वाले आहार का सेवन कर रहे हैं।
हम अपनी जीवनशैली तथा रहन सहन को बदले बिना स्वस्थ नहीं रह सकते। इसलिए हमें इसके साथ ही पथ्य अपथ्य जिसका मतलब है हमें क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए तथा किस तरह की दिनचर्या ऋतूचर्या का पालन करना चाहिए है।
स्वस्थ का मतलब केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं होता है इसके साथ ही आपको मानसिक स्वास्थ्य की भी प्राप्ति करनी होती है तभी आप पूर्णतया स्वस्थ रह सकते हैं। आयुर्वेद जीवन शैली पर आधारित स्वास्थ्य पर विश्वास करता है इसलिए केवल औषध चिकित्सा से स्वस्थ रहना लगभग असंभव है। अगर आप अपने खान पर रहते हैं की वजह से कई बीमारियों को लेकर घूम रहे हैं और आप इसे बदले बिना औषधियों से ठीक होना चाहते हैं तो आयुर्वेद में ऐसा संभव नहीं है। उनके साथ में आपको अपने जीवन में योग व्यायाम योग ऋतू चर्या का पालन करना होगा।
फास्ट फूड में पोषक तत्व की कमी तथा तेज मिर्च मसाले और चिकनाई के कारण ये खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होते हैं । स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसको लिखा है। फास्ट फूड जब एक बार खाते हैं तो लगभग इसकी आदत लग जाती है और इससे शरीर में हार्मोन इंबैलेंस का भी खतरा रहता है। पुरुष और महिलाओं में मोटापा की निसंतानता मधुमेह तथा हृदय रोग भी इस फास्ट फूड की वजह से बढ़ रहे हैं।
वैज्ञानिकों की यह मान्यता है कि फास्ट फूड से ईटिंग डिसऑर्डर नाम की एक बीमारी होती है। जिसकी वजह से व्यक्ति को हर बार खाने के लिए प्रेरित करती है जिससे भूख का क्रम गड़बड़ा जाता है और शरीर की कार्यप्रणाली में विषमता उत्पन्न करता है।
पिज़्ज़ा, बर्गर, हॉट डॉग, चाऊमीन आदि फास्ट फूड का लगातार सेवन करने से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
खाद्य पदार्थों के अंदर आकर्षक तरोताजा और स्वादिष्ट बनाए रखने के लिए सोडियम बेंजोएट एसिड मैग्नीशियम क्लोराइड कैलशियम साइट्रेट सल्फर डाइऑक्साइड आदि पदार्थों का उपयोग किया जाता है । यह केमिकल हमारे शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक है।
विडंबना यह है कि फास्ट फूड का चलन ग्रामीण स्तर की बजाए शहरी पढ़े लिखे शिक्षित वर्ग में ज्यादा है। और इसे अपनी प्रतिष्ठा होते के साथ जोड़ा जा रहा है।
आयुर्वेद के अनुसार तो अति भोजन करना चाहिए। ना ही भूखा रहना चाहिए। अच्छे स्वास्थ्य के लिए ताजा सुपाच्य पोशाक और प्राकृतिक आहार ही अच्छा होता है। तथा साथ ही यह शरीर को पुष्टि देता है और हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करता है।