गर्भ चिंतामणि रस Garbh chintamani ras के फायदे

garbh chintamani ras

गर्भ चिंतामणि रस के फायदे-गर्भावस्था में हर महिला को कभी न कभी एसिडिटी, हल्का बुखार, चक्कर, कमजोरी, के साथ-साथ श्वेत प्रदर जैसी समस्याएं होती है ।

गर्भ चिंतामणि रस ऐसी भस्में और काष्ट औषधियों का प्रयोग आयुर्वेद के ग्रंथों में बताया गया है । जो गर्भवती महिला की विभिन्न ने समस्याओं के लिए प्रयोग कराया जाता है । आइए जानते हैं गर्भ चिंतामणि रस के फायदे के बारे में और अधिक-

गर्भ चिंतामणि रस के घटक द्रव्य

  1. शुद्ध पारद 2 तोला
  2. शुद्ध गंधक 2 तोला
  3. लोह भस्म 2 तोला
  4. शुद्ध हरताल 2 तोला
  5. बंग भस्म 2 तोला
  6. अभ्रक भस्म 4 तोला
  7. कपूर 2 तोला
  8. ताम्र भस्म 2 तोला
  9. जायफल 2 तोला
  10. जावित्री 2 तोला
  11. गोखरू के बीज 2 तोला
  12. शतावरी 2 तोला
  13. खरैटी 2 तोला
  14. गंगेरन 2 तोला

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गर्भ चिंतामणि रस बनाने की विधि

सबसे पहले गंधक और पारद की कज्जली बनाई जाती है । इसके बाद सभी भस्म को मिलाया जाता है । सभी का काष्ट औषधियों को कपड़छान करके चूर्ण मिलाया जाता है । इसके बाद शतावरी के रस अथवा शतावरी के काढ़े में 1 दिन तक खरल किया जाता है । इसके बाद छोटी-छोटी 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम की गोलियां बना दी जाती है ।

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गर्भ चिंतामणि रस के फायदे व उपयोग

  • गर्भ चिंतामणि रस का सेवन चिकित्सक के निर्देशानुसार लगातार 3 से4 महीने तक सेवन करने से प्रसव के समय होने वाला दर्द नहीं होता है ।
  • गर्भवती के सेवन करने से संतान निरोगी और बलवान होती है ।
  • मुख्य रूप से इस आयुर्वेदिक रस औषधि को गर्भवती महिला के बुखार आने पर दिया जाता है ।
  • गर्भवती महिला में भूख की कमी दूर करने के लिए दिया जाता है ।
  • खांसी दमा कमजोरी की समस्या अगर किसी गर्भवती महिला को होने पर आयुर्वेद विशेषज्ञ द्वारा लिखी जाती है ।
  • रक्त विकार, गर्भाशय संक्रमण सुजाक फिरंग और प्रदर की समस्या अधिक होने पर रस सिंदूर और रजत भस्म के साथ हरताल का भी प्रयोग घटक द्रव्य में किया जाता है । इसके लिए अलग से स्वर्ण युक्त गर्भ चिंतामणि रस का भी निर्माण किया जाता है ।
  • लौह भस्म अभ्रक भस्म के साथ वंग भस्म और ताम्र भस्म होने पर प्रजनन और मूत्रवह संस्थान को फायदा पहुंचाता है । इसके साथ ही यकृत और प्लीहा और किडनी के लिए भी फायदेमंद होता है ।
  • गर्भावस्था में होने वाली एसिडिटी की समस्या के लिए भी यह उपयोगी रस औषधि है ।

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सेवन मात्रा-

25 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम की मात्रा आयु एवं बल के अनुसार चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें ।

सावधानी-

किसी भी आयुर्वेद औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है ।

निर्देशित मात्रा से अधिक मात्रा में सेवन ना करें ।

बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।

सुखे स्वच्छ कमरे के तापमान पर स्टोर करें ।

कहां से खरीदें?

आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है ।

स्रोत- रस तंत्र सार व सिद्ध प्रयोग संग्रह भाग प्रथम

चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है ।

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