panchkarm पंचकर्म क्या है – आयुर्वेद में हजारों वर्षों पूर्व इस चिकित्सा विद्या का आविष्कार हो चुका था। आयुर्वेद में दो तरह की चिकित्सा प्रणाली मुख्य रूप से होती है।
आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति –
- शमन चिकित्सा- आयुर्वेद की चिकित्सा विधि से औषधीय द्वारा वात पित्त कफ दोष को प्राकृत अवस्था में लाया जाता है और औषधियों से लाक्षणिक चिकित्सा भी की जाती है।
- शोधन चिकित्सा- शोधन चिकित्सा पद्धति में शरीर की एक प्रकार की सर्विसिंग है।
- जैसे हम किसी भी मशीनरी का ख्याल उसकी पुर्जे, ऑइल इत्यादि का ध्यान रखते हैं। उसी प्रकार हमारे शरीर की भी सर्विसिंग इस शोधन चिकित्सा के माध्यम से की जाती है।
Table of Contents
पंचकर्म panchkarm कौन करवा सकता है?
पंचकर्म एक ऐसी चिकित्सा विधि है जिसे स्वस्थ और रोगी दोनों व्यक्ति करवा सकते हैं।
रोगी व्यक्ति रोग के अनुसार रोग की प्रकृति के अनुसार पंचकर्म आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह पर करवा सकता है। स्वस्थ व्यक्ति वात पित्त कफ दोष की अवस्था के अनुसार पंचकर्म करवा सकता है।
पंचकर्म panchkarm चिकित्सा के भाग-
- पूर्व कर्म ( प्रीऑपरेटिव प्रोसीजर)
- प्रधान कर्म
- पश्चात कर्म ( पोस्ट ऑपरेटिव प्रोसीजर)
पूर्व कर्म- panchkarm
पूर्व कर्म पंचकर्म panchkarm की पहली प्रक्रिया है जिसमें दोषों को शिथिल किया जाता है । ताकि शरीर से वह आसानी से निकल सके
- पाचन कर्म- पाचन करने वाली औषधियां दी जाती है।
- स्नेहन- पूरे शरीर में अभ्यंतर और बाहरी स्नेहल पदार्थ जैसे घी , तेल इत्यादि
- स्वेदन – शरीर को नाड़ी स्वेद अथवा स्वेदन पेटी इत्यादि के द्वारा पसीना लाया जाता है।षष्टीशाली पिंड स्वेद, धारा स्वेद ,
प्रधान कर्म- panchkarm
वमन कर्म- (उल्टी करवाना) कफ दोष की साम्यावस्था के लिए वमन कर्म करवाया जाता है। वमन कर्म करवाने का श्रेष्ठ समय स्वस्थ व्यक्ति के लिए बसंत ऋतु में जब कफ बड़ा हुआ होता है।
उस समय कफ से जुड़ी हुई बीमारियों के लिए 15 फरवरी से 15 अप्रैल के मध्य पंचकर्म विशेषज्ञ की सलाह पर करवा सकते हैं। रोगी व्यक्ति भी विशेषज्ञ की सलाह पर करवा सकते हैं।
विरेचन कर्म- panchkarm
दस्त लगाकर पित्त दोष को साम्यावस्था में लाया जाता है। पित्त दोष बढ़ा हुआ होने के कारण प्रकार की बीमारियां और उपद्रव मनुष्य शरीर में होते हैं। इस विरेचन कर्म को करवाने के लिए इसका उपयुक्त समय 15 सितंबर से लेकर 15 नवंबर तक माना गया है।
रोगी तथा स्वस्थ व्यक्ति आयुर्वेद पंचकर्म विशेषज्ञ की सलाह पर इसे करवा सकते हैं।
बस्ती कर्म- panchkarm
विशेषकर वात दोष बढ़ने के कारण होने वाले रोगों के लिए बस्ती कर्म अत्यंत ही लाभकारी प्रोसीजर है वर्षा ऋतु के समय बात बढ़ जाता है जिसके कारण कई प्रकार के वात जनित रोग शरीर में उत्पन्न होते हैं। बस्ती कर्म करवाने का उपयुक्त समय 15 जुलाई से लेकर 15 सितंबर तक माना गया है।
नस्य कर्म- panchkarm
गले से ऊपर वाले रोगों में जिसे उर्ध जत्रुगत रोग कहा गया है। नस्य कर्म मस्तिष्क रोग, मानसिक रोग. प्रतिश्य्याय , लगातार रखने वाला जुकाम, सिर दर्द जैसी कई अन्य बीमारियों के लिए उपयुक्त माना गया है।
रक्तमोक्षण- panchkarm
रक्तमोक्षण से तात्पर्य है शरीर से दूषित रक्त को बाहर निकालना और पित्त दोष का शमन करना। रक्तमोक्षण में जलोका द्वारा रक्त चुसवाया जाता है। दूषित रक्त को चूस लेती है।
इसके साथ ही रक्तमोक्षण के कई अन्य तरीके भी आयुर्वेद विशेषज्ञ द्वारा अपनाए जाते हैं। रक्तमोक्षण का सही समय शरद ऋतु माना गया है जो अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 15 सितंबर से 15 नवंबर तक माना गया है।
पश्चात कर्म-( पोस्ट ऑपरेटिव प्रोसीजर)- panchkarm
पश्चात कर्म पंचकर्म के सबसे अंतिम पड़ाव को कहा गया है। इसमें प्रधान कर्म के कारण पाचन शक्ति पेट की अग्नि कम होने के कारण करवाया जाता है।
- संसर्जन कर्म- इसमें पंचकर्म चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा निर्धारित आहार का निर्देशन किया जाता है। पेट की अग्नि कम होने के कारण लघु तथा जल्दी पचने वाले पोषण से भरपूर भोजन को करने की सलाह दी जाती है।
- रसायन प्रयोग- आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां है जो शरीर में इम्यूनिटी, पोषण तथा वाजीकरण के लिए प्रयुक्त की जाती है। पंचकर्म के पश्चात शरीर के सभी अवयव शोषित हो जाने की बाद में रसायन चिकित्सा का महत्व बढ़ जाता है।
अन्य कर्म -panchkarm
- शिरो धारा – शिरो रोग , बालो का जड़ना , बालो की कमजोर , गंजापन इत्यादि के लिए
- कटी बस्ती – साइटिका , कमर दर्द , स्लिप डिस्क
- ग्रीवा बस्ती – गरदन के दर्द एवं सर्विकल स्पोंडीलायटिस
- जानू बस्ती – गुटने के दर्द के लिए
- शिरो बस्ती – सर से सम्बंधित रोगों केलिए – खालित्य पालित्य बालो का जड़ना , बालो का कमजोर एवं दो मुह होना इत्यादि में
- धुम्रपान – औषधीय पत्रों का धूम्र सेवन
- और पढ़े
- सिद्ध प्राणेश्वर रस sidh praneshwar ras
- आयुर्वेद के अनुसार आहार
- फल घृत के फायदे
- शुक्र स्तंभन गुटिका
इस लेख में दी गई जानकारी आयुर्वेद विशेषज्ञो के व्याख्यान पर आधारित है।