पंचामृत पर्पटी के फायदे : अपच, पेट फूलना, दस्त में लाभ

पंचामृत पर्पटी के फायदे

पंचामृत पर्पटी के फायदे – आयुर्वेद में पंचामृत पर्पटी एक महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है, जो विशेष रूप से पाचन तंत्र को सुधारने और वातजनित विकारों को संतुलित करने में सहायक होती है। पंचामृत पर्पटी आयुर्वेद के शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक और एलोवेरा जूस जैसे प्रभावी तत्वों से निर्मित होती है। यह औषधि मुख्य रूप से अपच, पेट फूलना, दस्त, पीलिया और अन्य पाचन विकारों के उपचार में प्रयोग की जाती है।

इस लेख में हम पंचामृत पर्पटी के घटक, निर्माण प्रक्रिया, औषधीय गुण, लाभ, उपयोग विधि और खुराक की विस्तृत जानकारी देंगे।


घटक एवं निर्माण प्रक्रिया

पंचामृत पर्पटी में प्रमुख रूप से निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं:

  1. शुद्ध पारद (Mercury) – शरीर में संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है और आयुर्वेद में इसे एक महत्वपूर्ण औषधीय धातु माना गया है।
  2. शुद्ध गंधक (Sulfur) – यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त करता है।
  3. एलोवेरा जूस – यह पेट की समस्याओं को दूर करता है और आंतरिक अंगों को स्वस्थ बनाए रखता है।
  4. रजत भस्म (Silver Bhasma) – यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।
  5. ताम्र भस्म (Copper Bhasma) – यह लीवर और पाचन प्रणाली को सुधारता है।

निर्माण विधि:
पंचामृत पर्पटी का निर्माण पारंपरिक आयुर्वेदिक प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाता है, जिसमें शुद्ध पारद और गंधक को विशेष विधि से संसाधित किया जाता है। सभी भस्मों और जूस को एक साथ मिलाकर खरल किया जाता है और एक विशेष तापमान पर सुखाकर छोटे-छोटे पर्पटी के रूप में तैयार किया जाता है।


पंचामृत पर्पटी के फायदे

पंचामृत पर्पटी के कई औषधीय गुण हैं, जो इसे एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि बनाते हैं:

  1. पाचन सुधारक – यह पाचन एंजाइमों को सक्रिय करता है और अपच, गैस, और एसिडिटी को कम करता है।
  2. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली – इसमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।
  3. यकृत (लीवर) के लिए लाभकारी – यह लीवर को डिटॉक्स करता है और उसकी कार्यक्षमता को सुधारता है।
  4. वात-पित्त संतुलित करने वाली – यह वात-पित्त दोष को नियंत्रित करके शरीर में संतुलन बनाए रखती है।
  5. त्वचा रोगों में उपयोगी – यह रक्त को शुद्ध करती है, जिससे त्वचा में निखार आता है और त्वचा रोगों से बचाव होता है।

पंचामृत पर्पटी के लाभ

1. पाचन तंत्र के लिए लाभकारी

  • आम (अपच से जुड़ी अशुद्धियाँ) आधारित दस्त में राहत प्रदान करती है।
  • खूनी दस्त में फायदेमंद होती है।
  • भूख की कमी और भोजन के सही तरीके से न पचने की समस्या में सहायक होती है।
  • उल्टी और जी मिचलाने की समस्या को दूर करती है।

2. लीवर और पेट संबंधी रोगों में प्रभावी

  • लीवर की कार्यक्षमता को सुधारती है और पीलिया में लाभकारी होती है।
  • बवासीर और पेट के कीड़ों को दूर करने में सहायक होती है।
  • पेट में होने वाले संक्रमण और जलन को कम करती है।

3. अन्य स्वास्थ्य लाभ

  • टीबी के मरीजों को इससे विशेष लाभ मिलता है।
  • पुराने बुखार की अवस्था में लाभकारी होती है।
  • चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS) में अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है।

उपयोग और खुराक

पंचामृत पर्पटी का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों में किया जाता है, लेकिन इसे सही तरीके से और निर्धारित खुराक में ही लेना चाहिए।

सेवन विधि:

  • पंचामृत पर्पटी को शहद, घी, दूध, या गुनगुने पानी के साथ सेवन किया जाता है।
  • अनुपान (जिस चीज के साथ दवा लेनी हो) का चुनाव विशेष स्थिति के आधार पर किया जाता है।
  • इसे खाली पेट या चिकित्सक की सलाह के अनुसार भोजन के बाद लिया जा सकता है।

खुराक:

  • सामान्यतः 125 से 250 मिलीग्राम (1 से 2 चावल के दाने के बराबर) दिन में एक या दो बार लेने की सिफारिश की जाती है।
  • रोग की गंभीरता और आयु के अनुसार खुराक अलग-अलग हो सकती है, इसलिए योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है।

नियमित सेवन के लिए सुझाव:

  • आयुर्वेदिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में ही इसका नियमित सेवन करें।
  • नियमित अनुवर्ती जांच कराएं ताकि दवा की प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सके।

कब और कैसे लें?

  • खाली पेट सुबह सेवन करने से अधिक प्रभावी परिणाम मिलते हैं।
  • यदि चिकित्सक ने निर्देश दिया हो, तो इसे भोजन के बाद भी लिया जा सकता है।
  • शहद, घी, दूध या हर्बल काढ़े के साथ लेने से अधिक लाभ मिलता है।

सावधानियाँ और संभावित दुष्प्रभाव

पंचामृत पर्पटी एक सुरक्षित आयुर्वेदिक औषधि है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में सावधानी बरतनी आवश्यक होती है।

सावधानियाँ:

  • अधिक मात्रा में सेवन करने से पाचन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अत्यधिक गर्म मौसम में अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है।
  • यदि किसी को धातु या भस्म से एलर्जी हो, तो इसका सेवन न करें।

संभावित दुष्प्रभाव:

  • कुछ लोगों को प्रारंभिक रूप में हल्का पाचन असंतुलन हो सकता है।
  • अधिक मात्रा में लेने पर एसिडिटी या पेट दर्द की समस्या हो सकती है।

निष्कर्ष

पंचामृत पर्पटी एक अत्यंत प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है, जो पाचन तंत्र को सुधारने, वात-पित्त को संतुलित करने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होती है। इसके नियमित और सही सेवन से पेट की समस्याएँ, लीवर विकार, त्वचा रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार देखा जा सकता है। हालाँकि, इसे आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही सेवन करना चाहिए ताकि कोई भी प्रतिकूल प्रभाव न हो।

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