pyleswin tablet uses in hindi पाइल्सविन टेबलेट

pyleswin tablet uses in hindi

पाइल्सविन टेबलेट-pyleswin tablet uses in hindi अगर आप पाईल्स की समस्या से जूझ रहे हैं । और यह शुरुआती दौर में है । तो यह टैबलेट आपके लिए फायदेमंद हो सकती है । विशेष रूप से पाइल्स में प्रयोग कराए जाने वाली यह औषधि धनवंतरी गुजरात हर्ब नाम की कंपनी द्वारा बनाई जाती है । आगे जानेंगे इसके कंटेंट और उनके कार्य ।

पाइल्सविन टेबलेट के घटक द्रव्य

शुद्ध गूगल-

यह दर्द निवारक के साथ-साथ सूजन को कम करने वाला होता है । घाव को सुखाने वाला होता है ।

शुद्ध शिलाजीत-

खून की कमी होने से बचाता है । स्तंभन का कार्य भी करता है ।

नागकेसर-

नाग केसर रक्त स्तंभन का कार्य करता है ।साथ ही साथ कई एनी रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है ! पेट की जलन ,प्रदर , खांसी , गेस्ट्रिक अल्सर इत्यादि !

अश्वगंधा-

अश्वगंधा वात शामक होता है । साथ ही साथ इम्यूनिटी और रोगों से लड़ने की ताकत को बढ़ाता है । दूध के साथ सेवन करने पर यह शरीर को ताकतवर बनाता है ।

नीम के बीज-

नीम के बीज सभी प्रकार के संक्रमण को दूर रखने के लिए काम में लिए जाते हैं । साथ ही साथ नीम के बीच शरीर में कई और जगह पर फायदा पहुंचाते हैं ।व्रण , त्वचा रोग ,मधुमेह , बुखार इत्यादि !

गुलाब की पत्तियां-

गुलाब की पत्तियां ठंडी होती है । तनाव से दूर रखती है । इसमें विटामिन सी पाया जाता है । जो किसी भी घाव को भरने में सहायता प्रदान करता है ।

हरड़-

हरड़ त्रिफला का एक घटक है । इसका प्रयोग विभिन्न रोगों में अलग-अलग तरह से चिकित्सकों द्वारा सेवन कराया जाता है । पेट से संबंधित रोगों में लाभदायक । कब्ज से दूर रखता है । त्रिदोष नाशक है ।

बहेड़ा-

बहेड़ा की त्रिफला का एक घटक द्रव्य है । खून की कमी, पेट संबंधित समस्याओं,पेट के कीड़े दूर करने वाला होता है । अर्श रोग,पीलिया रोग में भी यह फायदेमंद है ।

आंवला-

आंवला भी त्रिफला का एक घटक द्रव्य है । पेट से संबंधित समस्याओं में काम आता है । विटामिन सी की प्रचुर मात्रा के साथ इम्यूनिटी बढ़ाने वाला । भोजन पचने में समस्या, कब्ज, पीलिया अर्श जैसे रोग में अत्यंत लाभकारी है ।

दारू हल्दी-

यह पीलिया नाश क है । घाव को सुखाने, चर्म रोग में फायदेमंद है । सूजन को कम करने वाला । घाव को सुखाने वाला । खूनी बवासीर में फायदेमंद होता है । और भी कई रोगों में इसका प्रयोग करवाया जाता है ।

कांचनार-

इस टेबलेट में कचनार का प्रयोग अत्यंत गुणकारी है । क्योंकि कांचनार शरीर में किसी भी हिस्से में बनी हुई किसी भी प्रकार की गांठ को गलाने का कार्य करता है । इसके और भी कई सारे काम है ऐसे एग्जिमा खाज खुजली, त्वचा की रोगों के साथ-साथ कई अन्य रोगों में भी फायदेमंद होता है । पेट की गैस की समस्या दूर करता है । पेट की कब्जी, प्रोलेप्स( गुद भ्रंश ) की समस्या में भी अत्यधिक फायदेमंद होता है । अर्श रोग में उपयोग में इसलिए लाया जाता है ।

वचा –

पेट के रोगों, गैस की समस्या, के साथ-साथ कइ अन्य रोगों में जैसे गठिया रोग. पेचिश, मूत्र के रोगो में अधिक फायदेमंद होता है ।

सूरनकंद-

सूरनकंद भोजन करना पचना, भूख ना लगना, दर्द एवं सूजन कम करने वाला होता है । आमवात, पेट के कीड़े, पाचन से संबंधित समस्याओं को दूर करता है । यकृत और प्लीहा के लिए अत्यधिक गुणकारी औषधि है ।

यह सभी औषधियां मिलाकर पाइल्स विन टेबलेट बनाई जाती है । शुरुआती दौर में होने वाले पाइल्स की समस्या में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा अन्य दवाइयों के साथ इस टेबलेट का सुझाव दिया जाता है ।

पाइल्स विन टेबलेट का उपयोग

  • पाइल्स विन टेबलेट का उपयोग (pyleswin tablet uses in hindi ) विशेष रूप से अर्श खूनी बवासीर पाइल्स की शिकायत में करवाया जाता है ।
  • पाइल्स के कारण होने वाली जलन कम होती है।
  • पाइल्स के कारण होने वाला दर्द दूर होता है।
  • भोजन का ठीक से ना पचने की समस्या दूर होती है ।
  • कब्ज की शिकायत दूर होती है।
  • पेट में कीड़ों की समस्या दूर होती है ।
  • अर्श के कारण खून बहना बंद होता है ।
  • पाइल्स की गांठ धीरे-धीरे छोटी हो जाती है ।

सेवन मात्रा

वयस्क- एक एक गोली सुबह शाम भोजन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह के अनुसार सेवन करें ।

कहां से खरीदें?

हर मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है । ऑनलाइन खरीदने के लिए चित्र पर क्लिक करें ।

पाइल्स के उपचार के साथ में क्या न करें

  • मिर्च मसाले वाले खाद्य पदार्थ का सेवन ना करें ।
  • मैदा बेसन किस खाद्य पदार्थ का सेवन बंद करें ।
  • रात के समय हल्का भोजन करें ।
  • मांस मदिरा का सेवन ना करें ।
  • सभी प्रकार के फास्ट फूड का सेवन ना करें ।
  • हाई प्रोटीन डाइट नहीं लेवे ।
  • पर्याप्त जल का सेवन करें ।
  • विरुद्ध आहार विहार का सेवन ना करें ।
  • दही, आमचूर अचार का सेवन ना करें ।
  • अधारणीय वेगो को धारण न करे ।
  • भोजन कम अंतराल में सेवन ना करें ।भोजन के बीच कम से कम 6 घंटे का अंतराल रखें ।
  • पपीते का जूस ना पिए ।
  • उष्ण प्रकृति वाले खाद्य पदार्थ का सेवन ना करें ।
  • कब्जी करने वाले खाद्य पदार्थ का सेवन ना करें ।

चेतावनी- यहां पर दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पहले आयुर्वेद की सलाह आवश्यक है ।

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