अकीक भस्म akiak bhasm in hindi

अकीक खनिज रूप में पाई जाती है । जो विभिन्न रंगों के पत्थरों में देखने को मिलती है जैसे सफेद लाल नीला पीला । इन पत्थरों को जो खनिज रूप में मिलते हैं । इन पत्थरों को आयुर्वेद की शास्त्रोक्त विधियों द्वारा शुद्ध करने के बाद अकीक भस्म और पिष्टी बनाई जाती है । यह भस्म आयुर्वेद में कई रोगों के उपचार एवं चिकित्सा में उपयोग की जाती है ।

अकीक भस्म और अकीक पिष्टी दोनों की चिकित्सकीय लाभ एक जैसे हैं ।

इस पत्थर को नगीने के रूप में अंगूठी में लगाकर कई लोग धारण करते हैं ।

अंग्रेजी भाषा में इसे Onyex और Quartz भी कहा जाता है ।

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अकीक भस्म एवं पिष्टी का चिकित्सकीय उपयोग-akiak bhasm

  • यह आयुर्वेदिक भस्म दिल को ताकत देने वाली, यकृत, प्लीहा , और मस्तिष्क से संबंधित रोगों में उपयोग की जाती है ।
  • शरीर में तथा खून की गर्मी में इस औषधि का उपयोग किया जाता है ।
  • इस औषधि में अम्ल पित्त यानी कि एसिडिटी को कम करने के गुण होते हैं । इसलिए इस औषधि का उपयोग अम्ल पित्त नाशक योग में भी किया जाता है ।
  • हृदय की जलन, शरीर की कमजोरी, सीने में जलन मे भी इसका उपयोग किया जाता है ।
  • यह रक्त पित् शामक है ।
  • दुर्बलता को दूर करता है ।
  • पैरों के तलवों के नीचे जलन को काम करता है ।
  • सभी प्रकार के कास रोगों में भी इसका उपयोग किया जाता है ।
  • उन्माद मूर्छा रक्त प्रदर पथरी अश्मरी पुराना सुजाक मे उपयोग किया जाता है ।
  • नकसीर, थूक के साथ खून आना में भी इसका उपयोग किया जाता है ।
  • इस भस्म के सेवन से चेहरे पर तेज आने लगता है ।
  • यह वीर्य को गाढ़ा करने तथा काम उद्दीपन में सहायक है ।
  • अन्य औषधियों के यो गो के साथ में अलग-अलग अनुमान के अनुसार अलग-अलग रोगों में उपयोग किया जाता है ।( इन्हें भी पढ़े..एकांगवीर रस के फायदे )

मात्रा-

1 से 3 रत्ती सुबह शाम शहद या मक्खन के साथ चिकित्सक के निर्देशानुसार ही सेवन करें ।

एक रत्ती लगभग 0.121250 ग्राम

शुद्ध करने की विधियां-

गुलाब जल के द्वारा- इन पत्थरों को खूब तपा कर 21 बार गुलाब जल में बुझाने से यह शुद्ध होता है ।

आग में तपा कर त्रिफला क्वाथ मे 7 बार बुझाकर ग्वारपाठे के रस में खरल से घोटकर गोलियां बनाकर सुखा देने के बाद शराब संपुट यंत्र में गजपुट देते हैं ।

फिर गाय के दूध में घोटकर गोलिया बनाने के बाद खा लेते हैं ।

फिर गज पुट दिया जाता है ।

इस तरह की प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही शुद्ध किया जाता है ।

नोट- किसी भी आयुर्वेदिक औषधि को सेवन करने से पहले प्रमाणित आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह ले एवं उनके निर्देशानुसार ही किसी भी औषधि का सेवन करें ।

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