अगस्ति सूतराज रस (Agasti Sutraj Ras)

अगस्ति सूतराज रस (Agasti Sutraj Ras)

परिचय (Introduction):

अगस्ति सूतराज रस (Agasti Sutraj Ras) आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों का अद्भुत महत्व रखता है और इसे संग्रहणी, अतिसार, वमन, पेट का दर्द, आमांश, कफ-वात विकार, अग्निमांद्य, अनिद्रा, आमाशय और पक्वाशय के विकारों के लिए रामबाण औषधि माना जाता है। यह शरीर को पोषण प्रदान करने के साथ-साथ अपने विशेष गुणों के लिए प्रसिद्ध है।

अगस्ति सूतराज रस (Agasti Sutraj Ras) के घटक (Ingredients):

  • शुद्ध पारा – 1 तोला
  • शुद्ध गन्धक – 1 तोला
  • शुद्ध हिंगुल – 1 तोला
  • शुद्ध धतूरे के बीज – 2 तोला
  • शुद्ध अफीम – 2 तोला

अगस्ति सूतराज रस बनाने की विधि (Preparation Method):

अगस्ति सूतराज रस (Agasti Sutraj Ras) – प्रथम पारा और गन्धक की कज्जली बनाएं। फिर अन्य दवाओं का महीन चूर्ण कर सबको मिलाकर भांगरे के रस में तीन दिन तक घोटें। इसके बाद एक-एक रत्ती की गोलियां बनाकर रखें।

फायदे (Benefits):

  1. संग्रहणी (Chronic Diarrhea)
  2. अतिसार (Acute Diarrhea)
  3. वमन (Vomiting)
  4. पेट का दर्द (Stomach Pain)
  5. आमांश (Dysentery)
  6. कफ-वात विकार (Kapha-Vata Disorders)
  7. अग्निमांद्य (Weak Digestion)
  8. अनिद्रा (Insomnia)

सेवन मात्रा (Dosage and Administration):

1-1 गोली प्रातः, दोपहर और सायंकाल घी और काली मिर्च के चूर्ण के साथ सेवन करें।

दुष्प्रभाव (Side Effects):

इस औषधि की ज्यादा मात्रा लेने से यह नुकसान पहुंचा सकती है। बच्चों को न दें।

निष्कर्ष (Conclusion):

अगस्ति सूतराज रस एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है जो विभिन्न पाचन समस्याओं और अन्य विकारों के उपचार में सहायक है। इसका नियमित और सही मात्रा में सेवन करने पर यह औषधि बहुत लाभकारी सिद्ध होती है।

अस्वीकरण (Disclaimer):

यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी नई औषधि का सेवन शुरू करने से पहले कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें। आपकी स्वास्थ्य स्थिति और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर उचित चिकित्सा मार्गदर्शन आवश्यक है।

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