अर्जुन की छाल ब्लड प्रेशर

अर्जुन की छाल ब्लड प्रेशर

अर्जुन की छाल ब्लड प्रेशर– आज हम इस पोस्ट में जानेंगे अर्जुन वृक्ष जो सदियों से आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जा रहा है । अर्जुन की छाल का प्रयोग विशेषकर ह्रदय रोगों के लिए आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा निर्देशित किया जाता है ।

अर्जुन वृक्ष का परिचय-

भारत में नदियों एवं नालो के किनारे हमेशा हरा रहने वाला पेड़ है । इसकी लंबाई यानी की ऊंचाई लगभग 60 से 100 फिट तक हो सकती है । यह राजस्थान बिहार मध्य प्रदेश के क्षेत्र में पाया जाता है । 4 एमएम की इसकी मोटी छाल अपने आप अर्जुन के वृक्ष से निकल कर गिरती है । हल्के गुलाबी रंग की यह छाल दवाई के रूप में प्रयोग की जाती है ।
अर्जुन वृक्ष की वैसे तो कई प्रजातियां है। जो भारत में पाई जाती है ।

रासायनिक संगठन

सायनिक संगठन में इसमें टैनिन कैल्शियम सोडियम मैग्नीशियम पोटेशियम जैसे कई अन्य पोषक तत्व पाए जाते है।

अर्जुन छाल की पहचान-

सफेद चिकनी हल्के गुलाबी रंग की 4 मिलीमीटर मोटी होती है।
Sanskrit-अर्जुन, नदीसर्ज : , वीरवृक्ष, वीर, धनंजय, कौंतेय, पार्थ : धवल;

Hindi-अर्जुन, काहू, कोह, अरजान, अंजनी, मट्टी, होलेमट्ट;

Odia-ओर्जुनो (Orjuno);

Urdu-अर्जन (Arjan);

Assamese-ओर्जुन (Orjun);

Konkani-होलेमट्टी (Holematti);

Kannada-मड्डी (Maddi), बिल्लीमड्डी (Billimaddi), निरमथी (Nirmathi) होलेमट्टी (Holematti);

Gujrati-अर्जुन (Arjun), सादादो (Sadado), अर्जुनसदारा (Arjunsadara);

Tamil-मरुदु (Marudu), अट्टूमारूतू (Attumarutu), निरमारूदु (Nirmarudu), वेल्लईमरुदु (Vellaimarudu);

Telegu-तैललामद्दि (Tellamadi), इरमअददी (Erumdadi), येरमददी (Yermaddi);

Bengali-अर्जुन गाछ (Arjun Gach), अरझान (Arjhan);

Nepali-काहू (Kaahu);

Panjabi-अरजन (Arjan);

Marathi-अंजन (Anjan), सावीमदात (Savimadat);

Malayalam-वेल्लामरुटु (Velamarutu)।

English- व्हाइट मुर्दाह (White murdah);

अर्जुन की छाल ब्लड प्रेशर में फायदे –

जब किसी व्यक्ति की धड़कन तेजी से बढ़ रही हो बढ़कर नॉर्मल धड़कन 72 से 150 के ऊपर रहने लगे तो अर्जुन छाल का सेवन करना फायदेमंद होता है । अर्जुन छाल का प्रयोग करने से रक्त गाढ़ापन दूर होता है। हाई ब्लड प्रेशर,ट्राइग्लिसराइड ,कोलेस्ट्रॉल की समस्या धीरे-धीरे दूर होती है । धड़कन सामान्य होती है और ब्लड प्रेशर सामान्य रहने लगता है। उच्च रक्तचाप के रोगियों को आयुर्वेद विशेषज्ञों की सलाह पर इसे सेवन करना चाहिए।

कान के दर्द में –

अर्जुन के पत्तों का रस कान में डालने से कान का दर्द खत्म हो जाता है ।

मधुमेह रोग में-

अनुभूत प्रयोग में यह देखा गया है कि रोगियों को अर्जुन छाल का सेवन करवाने से मधुमेह के स्तर में कमी आती है ।

वजन घटाने में-

मोटापे से परेशान लोग अर्जुन छाल का प्रयोग करके वजन को कम कर सकते हैं । मेटाबॉलिज्म सही करने के साथ फेट को रिड्यूस करने में मदद करता है।

मूत्र संक्रमण में-

अर्जुन छाल के पाउडर को दूध में पानी के साथ उबालकर क्षीर पाक विधि से सेवन करने से मूत्र मार्ग में होने वाले संक्रमण कुछ दूर करने में मदद करता है ।

कील मुंहासे से छुटकारा

अर्जुन छाल के पाउडर का प्रयोग शहद मिलाकर चेहरे पर करने से झाइया एवं मुहांसों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है ।

ट्यूबरक्लोसिस क्षय रोग मे

नागबला के चूर्ण कौंच बीज के चूर्ण और अर्जुन छाल के चूर्ण के साथ मिश्री मिलाकर दूध में देने से ट्यूबरक्लोसिस रोग में (तपेदिक, क्षय रोग) में फायदा होता है।

अर्जुन छाल क्षीरपाक की विधि

5 ग्राम अर्जुन छाल के पाउडर को 200 मिलीलीटर पानी और 200 मिलीलीटर दूध गाय का हल्की आंच पर आधा रहने तक उबाल ले। छानकर सेवन करें।

अर्जुन छाल के दुष्प्रभाव

किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव की पुष्टि नहीं हुई है । चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें । अधिक मात्रा में सेवन करने से बचे।

सावधानी

किसी भी आयुर्वेदिक दवा के सेवन से पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य ले।

चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व चिकित्सक की सलाह आवश्यक है

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