अर्धांगवातारि रस (Ardhang Vatari Ras) एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है जो अर्धांग वात (Hemiplegia) के उपचार में प्रयुक्त होती है। यह विशेष रूप से नाड़ियों की दुर्बलता और रक्तचाप (Blood Pressure) की वृद्धि के कारण होनेवाले अर्धांगवात में लाभकारी है।
Table of Contents
मुख्य लाभ (Main Benefits):
- अर्धांग वात का उपचार (Treats Hemiplegia): अर्धांगवातारि रस अर्धांग वात (Hemiplegia) के उपचार में अत्यंत प्रभावी है।
- नाड़ियों की दुर्बलता में सहायक (Strengthens Nerves): यह औषधि नाड़ियों की दुर्बलता को दूर करती है।
- रक्तचाप नियंत्रण (Controls Blood Pressure): यह रक्तचाप की वृद्धि के कारण होनेवाले अर्धांगवात में लाभकारी है।
- कंपन का शमन (Reduces Tremors): इसके सेवन से अर्धांगवात में होने वाले बार-बार के झटके (कंपन) कम हो जाते हैं।
सेवन विधि (Dosage and Administration):
- अर्धांगवातारि रस (Ardhang Vatari Ras) मात्रा (Dosage): 2-2 रत्ती मधु के साथ सुबह और शाम (1 रत्ती = 121.5 mg)।
अर्धांगवातारि रस के घटक द्रव्य (Ingredients):
- मुख्य घटक (Main Ingredients):
- शुद्ध पारा (Shuddha Parada) – 24 तोला
- शुद्ध गंधक (Shuddha Gandhaka) – 25 तोला
- ताम्र भस्म (Tamra Bhasma) – 5 तोला
- भावना (Bhavana): नागरवेल के पान का रस और जंबीरी नींबू का रस।
निष्कर्ष (Conclusion):
दोस्तों, अर्धांगवातारि रस अर्धांग वात (Hemiplegia) के उपचार में अत्यंत सहायक है। यह औषधि नाड़ियों की दुर्बलता को दूर करती है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी सहायक है। इसका नियमित और सही मात्रा में सेवन करने पर यह औषधि बहुत लाभकारी सिद्ध होती है। आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, यह औषधि आपके संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद करती है। अगर आपको कोई भी सवाल या शंका हो, तो आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer):
यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी नई औषधि का सेवन शुरू करने से पहले कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें। आपकी स्वास्थ्य स्थिति और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर उचित चिकित्सा मार्गदर्शन आवश्यक है।