आयुर्वेद के अनुसार द्रव्य क्या है ?- शमन, कोपन, और स्वस्थहित ये तीन प्रकार के द्रव्य परस्पर विपरीत गुणवाले होते हैं। शमन द्रव्य वातादि दोषों को शांत करता है, कोपन द्रव्य वातादि दोषों और मलों को कुपित करता है, और स्वस्थहित द्रव्य स्वस्थ पुरुष के स्वास्थ्य को बनाए रखता है।
इन द्रव्यों के गुणों की विपरीतता को एक उदाहरण के माध्यम से समझा सकते हैं, जैसे गुरु गुण से लघु गुण और शीत से उष्ण सदा विपरीत रहता है।
शमन द्रव्यों की उदाहरणार्थ, तेल, घी, और मधु हैं। तेल वातादि दोष को शांत करता है क्योंकि इसमें वातादि दोष के विपरीत गुण होते हैं। घी मधुर, शीत, और मंद गुणवाला होने के कारण पित्त दोष को शांत करता है। मधु रूक्ष, तीक्ष्ण, और कषाय गुणवाला होने के कारण कफ दोष को शांत करता है।
कोपन द्रव्यों की उदाहरणार्थ, यवक (शूकधान्य), पाटल (पाटल व्रीहि), माष (उड़द), मछली, आमरूलक (मंगो), सरसों का तेल, मन्दक (मुंग दाल), दधि, और किलाट हैं।
स्वस्थहित द्रव्य का सेवन स्वस्थ चर्या के अनुसार होना चाहिए, जैसा कि ‘ऋतुचर्या’ नामक अध्याय में बताया गया है। इसका विस्तृत विवरण ‘अहर्निशम्’ नामक अध्याय (आचार्य वाग्भट) में दिया गया है।