रजः प्रवर्तनी वटी फायदे (दवा)-विवरण -महिलाओ में होने वाली मासिकधर्म की अनियमितता PCOD , दर्द के साथ होने वाली माहवारी , अतः स्त्रावी ग्रंथियों की गड़बडी , हार्मोन में बदलाव या असंतुलन को दूर करने के लिए इस औषधि का वर्णन शास्त्रों में मिलता है ।
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सन्दर्भ ग्रन्थ/ शास्त्र – भैषज्य र. स्त्री रोगाधिकार २२३
औषधि के घटक द्रव्य –
- कन्यासार / एलुआ
- शुद्ध कसीस
- हिंगू
- शुद्ध टंकण
- घृतकुमारी स्वरस
निर्माण करने की विधि –
सभी उपरोक्त औषधियों को सामान भाग में लेकर एलोवेरा जूस में मर्दन करके टेबलेट बना लेवे । छाया में सुखा कर साफ स्वच्छ एवं सुखे स्थान पर कमरे के तापमान पर संगृहीत करे ।
सेवन मात्रा-
1 रत्ती से 2 रत्ती ( 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम ) की मात्र
वयस्क – सुबह शाम दिन में 2 बार भोजन के बाद
(चिकित्सक के निर्देशानुसार आयु ,बल, देश, काल के अनुसार )
अनुपान –
गुनगुना पानी , तिल का कषाय , कुल्थ कषाय के साथ
रजः प्रवर्तनी वटी फायदे एवं उपयोग –
- मासिक धर्म से जुड़े रोगों में ।
- मासिक धर्म में आने वाली कठिनाई को दूर करने मे सहायक
- दर्द के साथ आने वाले मासिक धर्म में सेवन करने से लाभ होता है ।
- PCOD में लाभप्रद
- हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में सहायक ।
औषधि के दुष्प्रभाव –
किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव की पुष्टि नहीं है । किसी भी प्रकार की समस्या आने पर अपने चिकित्सक से सलाह लेवे ।
दवाई से सम्बंधित आम प्रश्न एवं उत्तर
प्रश्न – 1 क्या बच्चो को देना सुरक्षित है ?
उत्तर – नहीं
प्रश्न -2 क्या गर्भवती को सेवन करना सुरक्षित है ?
उत्तर – नहीं
प्रश्न -3 क्या स्तनपान करवाने वाली महिला को सेवन करना चाहिए ?
उत्तर – नहीं
प्रश्न – 4 क्या अल्कोहल के साथ सेवन सुरक्षित है ?
उत्तर – नहीं
प्रशन -5 क्या इसकी आदत लगती है ?
उत्तर – नहीं
दवाई का वर्तमान मूल्य –
eight=”1″ border=”0″ alt=”” style=”border:none !important; margin:0px !important;” />अस्वीकरण – इस लेख में दि गई जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । केवल शेक्षिक उपयोग एवं जागरूकता के लिए है । किसी भी आयुर्वेद दवाई का उपयोग करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह आवश्यक है । किसी भी तरह की हनी की जिम्मेदारी ब्लॉग की नहीं है ।
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