लोहासव के फायदे – लोह भस्म का प्रयोग करके विभिन्न घटक द्रव्य के साथ लोहासव का निर्माण किया जाता है । अगर आपको कभी भी एनीमिया की शिकायत शरीर में खून की कमी के लिए आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा लोहासव का प्रयोग रोगी को कराते हुए देखा होगा । लोहासव लाल रक्त कणिकाओं को बढ़ाकर रक्त को बढ़ाने वाला होता है । केवल यह रक्त को बढ़ाता ही नहीं है अपितु रक्त की शुद्धता एवं गुणवत्ता बढ़ाने में भी कार्य करता है पांडु रोग में इसका उपयोग किया जाता है। पांडु रोग से उत्पन्न होने वाले विभिन्न उपद्रव को काम करता है । साथ ही साथ यकृत और प्लीहा की कार्य क्षमता को बढ़ाता है ।
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लोहासव के घटक द्रव्य
शारंगधर संहिता मध्यम खंड के अनुसार लोहासव निम्नलिखित घटक द्रव्य है ।
- लोह भस्म एक भाग
- मुक्ता एक भाग
- चित्रक एक भाग
- मरीच [काली मिर्च] एक भाग
- अजमोदा एक भाग
- पिप्पली एक भाग
- धात की 5 भाग
- हरितकी एक
- मधु [शहद ]15 भाग
- विभितक एक भाग
- गुड आवश्यकता के अनुसार
- आमलकी एक भाग
- विडंग एक भाग
लोहासव के फायदे एवं उपयोग
- पीलिया के कारण होने वाली रक्त की कमी में ।
- गुल्म रोग में
- पुराना बुखार होने की वजह से अथवा मलेरिया की वजह से रक्त की कमी में होने वाली कमी में इसका प्रयोग किया जाता है ।
- साथ ही विभिन्न रोग जैसे शरीर में सूजन, श्वास रोग, कास रोग, पेट दर्द में भी उपयोग किया जाता है ।
- जिन लोगों अथवा मरीजों भूख की कमी हो जाती है ।
- महिलाओं में मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं में प्रयोग किया जाता है ।
सेवन मात्रा-
10 से 20 मिलीलीटर समान जल से भोजन करने के बाद सेवन करना चाहिए । रोग के अनुसार चिकित्सक के निर्देशानुसार मात्रा का सेवन करें ।
कहां से खरीदें?
समस्त आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध होने वाला आसव । कई कंपनियां लोहासव नाम से ही निर्माण करती है ।आजकल ऑनलाइन भी उपलब्ध है ।
सावधानी-
- निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में सेवन ना करें ।
- केवल चिकित्सक के निर्देशन में ही प्रयोग करें ।
- बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
- चेतावनी- यहां पर दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व में आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह आवश्यक है । [और पढ़े ..कुमारी आसव के फायदे.......] [और पढ़े ....कनकासव के फायदे......] [और पढ़े .......चन्दनासव के फायदे........]