सहजन के फायदे

सहजन के फायदे

सहजन के फायदे- कई लोग इसे जादू का पेड़ कहते हैं ।इसका कारण है इसके इतने सारे फायदे।भारत में अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है।आयुर्वेद की दृष्टि से यह अत्यंत ही फायदेमंद है जो मानव जाति के लिए वरदान है।

अंग्रेजी में इसे ड्रमस्टिक कहते है। इसके और भी नाम है जैसे – सेंजन , मूनगा ,सहजन ,मोरिंगा आदि ।

आज की आधुनिक जीवन शैली के कारण हम कहीं ऐसी जानकारियों से वंचित रह जाते हैं ।

हमारे बड़े बुजुर्ग जानते हैं । आज हम इस पोस्ट में सहजन के फायदे के बारे में जानेंगे ।

सहजन एक पेड़ है।पेड़ की जड़, पेड़ की पत्तिया, पेड़ की छाल फूल और बीज भी औषधीय प्रयोग में लाए जाते हैं।

सहजन में कई प्रकार के पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन ,विटामिन ,पोटेशियम ,आयरन ,एमिनो एसिड ,एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं ।

पुरुष और महिला दोनों के लिए बराबर फायदेमंद कामशक्ति बढ़ने वाला और कमजोरी दूर करने वाला होता है।

 इस पेड़ को कम देखभाल की जरूरत होती है । इसे कहीं पर भी उगाया जा सकता है ।

 दक्षिण भारत के लोग सहजन की फलियां सांभर में प्रयोग करते हैं।दक्षिण भारत में यह पेड़ यह पूरे साल फलिया देता है।उत्तर भारत के सहजन के पेड़ में केवल एक बार ही फलियां आती है।

 इसका प्रयोग सब्जी के रूप में, सूप के रूप में किया जाता है ।

कई लोग इसकी अचार एवं चटनी बनाकर भी प्रयोग में लाते हैं।भोजन के रूप में अत्यंत पौष्टिक माना जाता है । सहजन के बीजों का प्रयोग तेल निकालने में किया जाता है ।

 सहजन के फायदे वात रोगों में

 सहजन का प्रयोग वात रोगों में अत्यधिक फायदेमंद होता है ।

बुढ़ापे या शारीरिक कमजोरी के कारण जोड़ों का दर्द, कमर दर्द विशेष रूप से साइटिका और गठिया रोग में अधिक फायदेमंद होता है।

सहजन के फायदे पेट से संबंधित रोगों में

पाचन की समस्या दूर करता है। फाइबर होने के कारण कब्ज को दूर करता है। पेट में होने वाले गैस्ट्रिक अल्सर पेप्टिक अल्सर के लिए फायदेमंद होता है।

सहजन के फायदे नेत्र रोगों में-

विशेषकर रतौंधी के रोग विटामिन ए की कमी के कारण होने वाले आंखों के रोग तथा आंखों की कमजोरी को दूर करने वाला होता है।

यकृत प्लीहा रोगों में-

यकृत संबंधित रोग पीलिया खून की कमी दूर करता है।तथा अन्य पाचन क्रिया में सहयोग करने वाले रस सामान्य रूप से लाने में सहायक होता है।

दर्द निवारक के रूप-

शरीर में होने वाला दर्द किसी व्रण के कारण। अथवा चोट के कारण।अथवा बुढापे के कारण होने पर सहजन के बीजों का तेल प्रयोग करने से फायदा होता है।

सिर दर्द में-

सहजन की पत्तियों को पीसकर थोड़ा सा आग पर पकाकर पट्टी बनाकर लेप करने से सिर दर्द दूर होता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए-

सहजन में अत्यधिक गुणकारी पोषक तत्व होने के कारण।बड़े बुजुर्ग गर्भवती महिला को सहजन के सेवन के लिए प्रेरित करते हैं।सहजन के सेवन से गर्भवती महिला में आयरन पोटेशियम कैल्शियम की कमी को दूर किया जा सकता है।

गर्भवती महिलाएं इसे अचार चटनी अथवा सब्जी के रूप में प्रयोग कर सकती है। गर्भवती महिलाओं को केवल फलिया सेवन करने का निर्देश दिया जाता है।

रक्तशोधक के रूप में-

सहजन खून को साफ करने वाला खून को बढ़ाने वाला होता है।

सहजन का सूप बनाकर पीने से रक्त साफ होता है और रक्त से जुड़े रोगों में फायदा होता है।

बच्चों की मालिश के लिए-

सहजन के बीजों का प्रयोग तेल बना कर बच्चों की मालिश एवं दर्द निवारक तेल के रूप में किया जाता है।

कृषि उपयोग में-

सहजन की पत्तियों को पीसकर। इसका रस निकालकर पानी में मिलाकर।फसल पर छिड़काव करने से फसल का उत्पादन बढ़ जाता है।

साथ ही मौसम के कारण होने वाले विभिन्न रोग जो खेती में होते हैं। वह नहीं होते हैं।

सौंदर्य प्रसाधन के रूप में-

सहजन का सेवन करने से लाभ होता ही होता है। लेकिन साथ ही साथ इसका बाह्य यह प्रयोग त्वचा के लिए फायदेमंद होता है।

सहजन के बीजों का प्रयोग स्क्रब बनाने फेस पैक बनाने और मोस्चराइजर के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।

यह त्वचा के मृत कोशिकाओं को बाहर निकाल देता है। साथ ही साथ त्वचा में निखार लाता है।

पुरानी खांसी और दमा रोग में- 

सहजन का प्रयोग पुराने दमा रोग और खांसी में किया जाता है।

सहजन का सूप बनाकर पीने से गले में जमा हुआ कफ बाहर निकल जाता है। और खांसी में लाभ होता है।

सहजन के फायदे मधुमेह रोग में-

सहजन का प्रयोग मधुमेह रोग में किया जाता है। या डायबिटीज को कंट्रोल करने वाला होता है। रोगी इसका सेवन करके लाभ ले सकते हैं।

पथरी रोग में

किडनी एवं पित्ताशय की पथरी रोग में दोनों में इसका प्रयोग करने से फायदा होता है।

पित्ताशय की पथरी वाले सहजन की जड़ का काढ़ा, सेंधा नमक और हींग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी रोग में लाभ होता है।

मोटापे में- 

सहजन में कुछ रासायनिक तत्व ऐसे होते हैं जो पाचन तंत्र में सुधार करके मेटाबॉलिज्म को अच्छा कर देते हैं।मोटापा कम करने में सहायक है।

सुपाच्य और पौष्टिक आहार होने के कारण शरीर में जरूरी पोषक तत्व काम आहार में ही मिल जाते हैं।

दांत के कीड़े में

सहजन की पत्तियों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।

यह प्रयोग लगातार लंबे समय तक करना पड़ता है।

घाव एवं सूजन के लिए-

सहजन में दर्द निवारक के साथ-साथ घाव को सुखाने एवं सूजन को कम करने के गुण भी पाए जाते हैं।

सहजन की पत्तियों को गरम पानी से साफ करके पीसकर घाव पर लगा दे।

नाक बंद होने पर-

सर्दी के मौसम में अक्षर घर में किसी ने किसी को नाक बंद होने की समस्या हो जाती है।

इसलिए सहजन को पानी में उबालकर इसकी भाप लेने से नाक खुल जाती है।

हड्डियों से संबंधित कमजोरी में-

कैल्शियम की भरपूर मात्रा सहजन में पाई जाती है। इसलिए हड्डी के जोड़ के लिए हड्डी की मजबूती के लिए सहजन के प्रयोग के लिए लाभकारी होता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए-

आप सभी जानते हैं सभी पोषक तत्व इस में मिलते हैं। इसके साथ-साथ विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होने के कारण अत्यंत ही रोग प्रतिरोधक का कार्य करता है।

साथ ही साथ शरीर में किसी भी प्रकार के घाव को जल्दी भरता है।

सहजन के सेवन में सावधानी

सहजन का सेवन एक निश्चित मात्रा में निश्चित समय के लिए करना चाहिए।

पथरी के रोगियों को लगातार सेवन करने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

मधुमेह रोगियों को इसके लगातार सेवन से पहले चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि कई बार इसका सेवन करने से शुगर लेवल अपने सामान्य स्तर से नीचे भी जा सकता है।

गर्भवती महिलाओं को केवल फली का सेवन करने की सलाह चिकित्सकों द्वारा दी जाती है। इस की जड़ या छाल का सेवन नहीं करना चाहिए।

सहजन के और भी कई फायदे हो सकते हैं । यह एक शोध का विषय है । आने वाले समय में हो सकता है इसकी और फायदे की जानकारी मिले। अगर यह पोस्ट आपको अच्छी लगी है तो अपने परिजनों दोस्तों को जरूर शेयर करें।

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